गोभीवर्गीय सब्जियां हों या अन्य फसल की खेती, इन्हें करने के लिए दिए गए बिंदुओं को जानना बहुत जरूरी है :
जलवायु
गोभीवर्गीय सब्जियों के लिए ठंडी जलवायु व नमी वाला मौसम सर्वोत्तम होता है.
पोषक तत्त्व
इन गोभीवर्गीय सब्जियों में विटामिन ए, सी और प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इन सब्जियों से सब्जी के अतिरिक्त परांठे, सूप और अचार भी बनाया जाता है.
मिट्टी
गोभीवर्गीय सब्जियों की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टियों में की जाती है, किंतु बलुई दोमट मिट्टी गोभीवर्गीय सब्जियों के लिए मुफीद रहती है.
बोआई का तरीका
सब्जियों की बोआई 2 तरीके से होती है. कुछ सब्जी के बीजों को सीधा ही खेत में छिड़क कर या लाइन में बोआई की जाती है और कुछ बीजों की नर्सरी तैयार की जाती है. गोभीवर्गीय सब्जियों की नर्सरी तैयार करने के पश्चात पौधरोपण किया जाता है.
नर्सरी
नर्सरी तैयार करने के लिए नर्सरी वाले खेत को समतल बनाना चाहिए. इस के लिए खेत की 2-3 जुताइयां करने के बाद खेत में छोटीछोटी क्यारियां बनानी चाहिए. क्यारियां 10 से 15 सैंटीमीटर ऊंची होनी चाहिए और 2 क्यारियों के बीच में एक जल निकास के लिए नाली होनी चाहिए.
पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर खेतों में ढलान पाई जाती है और कुछ स्थानों में मिट्टी ठोस होती है. यदि इस प्रकार की कोई समस्या होती है, तो क्यारियों की ऊपरी सतह पर बालू का छिड़काव कर क्यारियां बनानी चाहिए. क्यारियों में बीज बोने के बाद उसे पौलीथिन शीट या घास से ढक देना चाहिए.
मिट्टी जांच
नर्सरी तैयार होने के बाद जिस खेत में पौधरोपण होना है, उस खेती में मिट्टी जांच करवाना आवश्यक है, जिस से हमें ज्ञात रहे कि हमारी मिट्टी में कौनकौन से पोषक तत्त्व हैं और किनकिन पोषक तत्त्वों की मिट्टी को आवश्यकता है, जिस से खेत में आवश्यकतानुसार उर्वरकों का संतुलित मात्रा में प्रयोग किया जा सके. इस से अधिक उत्पादन होता है.
ऐसे करें बीजोपचार
この記事は Farm and Food の November Second 2023 版に掲載されています。
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मई माह में खेती के खास काम
गरमी के इस खरीफ महीने मई में गेहूं की कटाई कर भंडारण के लिए उसे धूप में सुखा लें. उस में नमी की मात्रा 8-10 फीसदी रहे, तब इस का भंडारण करें. भंडारण से पहले भंडारगृह को कीटनाशी दवा से साफ कर लें.
आम की अनेक व्यावसायिक किस्में
अपने ही देश में तकरीबन आम की 1,000 किस्में ऐसी हैं, जिन का व्यावसायिक तौर पर उत्पादन किया जा सकता है, लेकिन इस में से बहुत कम ऐसी किस्में हैं, जिन का उत्पादन व्यावसायिक निर्यात के नजरिए से किया जाता है.
आम की बौनी, रंगीन और व्यावसायिक किस्में
हमारे देश में उगाए जाने वाले फलों में आम ही एक ऐसा फल है, जो अपने अलगअलग स्वाद, सुगंध और रंगों के लिए जाना जाता है. आम में पाया जाने वाला पोषक गुण भी इसे विशेष बनाता है, इसीलिए इसे 'फलों के राजा' का दर्जा भी प्राप्त है. आम ही एकलौता ऐसा फल है, जिस की बागबानी दुनिया के लगभग सभी देशों में की जाती है.
जलवायु परिवर्तन के दौर में काला नमक धान की खेती
काला नमक धान काली भूसी और तेज खुशबू वाली धान की एक पारंपरिक किस्म है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई वाले इलाकों के 11 जिलों और नेपाल में उगाई जाने वाली यह पारंपरिक किस्म वर्तमान में मौसम के उतारचढ़ाव और प्राकृतिक आपदा आदि के कारण कम उपज का कारण बनती है.
पैडी प्लांटर धान रोपाई यंत्र
हाथ से धान की रोपाई करने का काम बहुत थकाने वाला होता है. धान की रोपाई में कई घंटों तक झुक कर रोपाई करनी होती है, जिस से काफी परेशानी होती है और समय भी बहुत लगता है. अब बहुत से किसान धान की रोपाई हाथ के बजाय मशीनों से कर रहे हैं.
कसावा की उन्नत खेती करें
साबूदाना बनाने के लिए सब से पहले कसावा के कंद को अच्छे से धोया जाता है. इस के बाद कंदों को छील कर उनकी पिसाई की जाती है
खेत जुताई यंत्र रोटावेटर
बहुत से दूसरे यंत्रों की तरह रोटावेटर खेती में इस्तेमाल होने वाला एक ऐसा यंत्र है, जिसे ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर काम किया जाता है. इस का खासकर इस्तेमाल खेत की जुताई के लिए किया जाता है.
ड्रम सीडर यंत्र करे धान की सीधी बोआई
धान की फसल के लिए कई विधियों का प्रयोग किया जाता है. इस में नर्सरी से धान के खेत में सीधी रोपाई, एसआरआई विधि, खेत में छिटकवां विधि से धान की बोआई व ड्रम सीडर से धान की सीधी बोआई आदि.
मोटे अनाज के बेकरी उत्पादों को बनाएं रोजगार
18 मार्च, 2024 कभी मोटे अनाज (श्रीअन्न) जैसे बाजरा, ज्वार, रागी, कांगणी, सांवा, चीना आदि को गरीबों का भोजन माना जाता था, लेकिन आज अमीर आदमी मोटे अनाज के पीछे भाग रहा है. दरअसल, मोटे अनाज में ढेर सारी बीमारियों को रोकने संबंधी पोषक तत्त्वों की भरमार है, इसलिए लोग श्रीअन्न को अपने भोजन में शामिल करने लगे हैं.
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत जागरुकता कार्यक्रम
27 मार्च, 2024 को कृषि अनुसंधान केंद्र, बोरवट फार्म बांसवाड़ा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत एकदिवसीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन झेर्पारा (करजी) गांव में किया गया.