कोशिश गोल्ड - मुक्त
"बीज व्यवसाय एवं गुणवत्ता का द्वंद्व"
Modern Kheti - Hindi
|1st March 2025
कृषि उत्पाद के लिये बीज मूल्यवान एवं असरदार माणिक्य है।
बीज उत्तम है तो उत्पादन सर्वोत्तम होगा। बीज की गुणवत्ता के लिए भारत सरकार ने बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968, बीज नियंत्रण आदेश 1983, भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानक 1965, 1971, 1988, 2013 एवं 2023 लागू है और कुछ राज्य सरकारें भी नियम कानून बना रही हैं। ये बीज कानून, बीज की गुणवत्ता बनाए रखने में सक्षम है। नया बीज विधेयक (Seed Bill-2019) लोकसभा में लम्बित है परन्तु उसके लागू होने के बाद भी इन तथाकथित विसंगतियों का लोप नहीं होगा। इन विभिन्न कानूनों के क्रियान्वन (Enforcement) का काम राज्य सरकारों के कृषि अधिकारियों के एक वर्ग बीज निरीक्षक तथा लाइसेंसिंग अधिकारियों पर है। ये बीज की गुणवत्ता सुधार में कितना योगदान देते हैं। यह बहस का अलग विषय है परन्तु ये बीज की गुणवत्ता का हव्वा दिखा कर बीज उद्योग को हतोत्साहित करते हैं।
1. बीज उत्पादन :
प्रारम्भ में 1963 में नेशनल सीड्स कार्पोरेशन ने बीज उत्पादन प्रमाणीकरण एवं विक्रय का कार्य सम्भाला, दूसरी संस्थाएं जुड़ी। देश में लगभग 24 राज्य बीज निगमें बनीं और 80 के दशक में निजी संस्थाओं ने बीज उद्योग में प्रवेश किया। आज भी निजी बीज संस्थाएं 75 प्रतिशत प्रमाणित एवं लेबल बीज उत्पादन करती हैं। सरकारें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इनके बीज उत्पादन के आंकड़ों को प्रस्तुत कर वाहवाही लेती हैं परन्तु निजी बीज उद्यमियों को वह सम्मान नहीं मिलता जिसके वह हकदार हैं, उन्हें हमेशा हेय दृष्टि से देखा जाता है। इनको हर तरह से जलील किया जाता है परन्तु ये बेचारे रोजगार की प्रतिस्पर्धा में अपने परिवार की रोजी-रोटी का जुगाड़ करने के लिये बाध्य हैं और प्रतिरोध भी नहीं जता सकते और भगवान की नियती समझ कर कृषि विभाग की जायज एवं नाजायज बातें सहन कर जाते हैं। ये शासकीय नियंत्रण की बीज कम्पनियों की विसंगतियां खुली आँख से देखते हैं परन्तु अधर नहीं खोल पाते।
2. शासकीय क्षेत्र की विसंगतियां एवं विद्धपताएं :
वैसे तो पूरे राष्ट्र में बीज सैक्टर में कुछ न कुछ असंगत घटता रहता है परन्तु यहां कुछ उदाहरण दे रहा हूँ :
A. आई.ए.आर.आई. करनाल द्वारा धान बीज विक्रय :
यह कहानी Modern Kheti - Hindi के 1st March 2025 संस्करण से ली गई है।
हजारों चुनिंदा प्रीमियम कहानियों और 10,000 से अधिक पत्रिकाओं और समाचार पत्रों तक पहुंचने के लिए मैगज़्टर गोल्ड की सदस्यता लें।
क्या आप पहले से ही ग्राहक हैं? साइन इन करें
Modern Kheti - Hindi से और कहानियाँ
Modern Kheti - Hindi
मक्का की बिजाई करने के लिए मेज़ प्लांटर
मक्का की बिजाई करने वाली मशीन, मेज़ प्लांटर को नेशनल एग्रो इंडस्ट्रीज़ की ओर से बनाया गया है।
1 min
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
घृतकुमारी का औषधीय योगदान एवं महत्व
कुमारी, गृह कन्या, घृतकुमारिका आदि, इसके पत्तों में छेद करने या दबाने पर लसलसा पदार्थ निकलता है।
3 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
क्या जीनोम-संपादित धान की किस्में उचित हैं ?
देश के शीर्ष कृषि अनुसंधान संस्थान आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) और कृषि मंत्रालय पर जीनोम-संपादित (जीनोम-एडीटेड) धान के परीक्षणों में वैज्ञानिक हेरफेर और बेईमानी के आरोप लगे हैं।
3 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
गन्ना की खेती देखभाल और पैदावार
गन्ना एक प्रमुख व्यवसायिक फसल है, विषम परिस्थितियां भी इसकी फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती।
10 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
खाद्य उत्पादन की बढ़ती मांग से धरती पर पड़ रहा है प्रभाव
इसमें कोई शक नहीं कि इंसानी सभ्यता ने अपने विकास के लिए प्रकृति का बड़े पैमाने पर दोहन किया है।
3 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
टिकाऊ कृषि विकास के लिए भूमि सुधार आवश्यक ...
कृषि के मुख्यतः तीन प्रमुख स्तम्भ हैं-मिट्टी, पानी और बीज परंतु गत कुछ दशकों में परंपरागत कृषि तकनीकों जैसे अत्याधिक जुताई, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग एवं जैविक खाद के कम उपयोग, इत्यादि के कारण मिट्टी की गुणवत्ता में बहुत गिरावट आई है।
8 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
निराशा से समाधान तक कैसे भारत पराली जलाने की समस्या का कर सकता है अंत
पराली जलाने की समस्या का हल संभव है। समझदारी बरतते हुए अगले तीन वर्षों में इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं अरुणाभ घोष और कुरिंजी केमांथ
5 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
अलसी की खेती से लाभ कमाएं
अलसी तेल वाली फसलों में दूसरी खास फसल है।
8 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
क्रांतिकारी मॉडल विकसित करने वाले सफल किसा सीताराम निगवाल
मध्यप्रदेश के धार जिले के किसान सीताराम निगवाल ने 30 वर्षों के अनुभव से खेती का एक क्रांतिकारी मॉडल, विकसित किया है।
2 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
भूमि क्षरण से बढ़ रहा कुपोषण
लगभग 1.7 अरब लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां मानवीय कारणों से भूमि के क्षरण के चलते फसलों की पैदावार घट रही है।
2 mins
15th November 2025
Listen
Translate
Change font size

