मैगज़्टर गोल्ड के साथ असीमित हो जाओ

मैगज़्टर गोल्ड के साथ असीमित हो जाओ

10,000 से अधिक पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और प्रीमियम कहानियों तक असीमित पहुंच प्राप्त करें सिर्फ

$149.99
 
$74.99/वर्ष

कोशिश गोल्ड - मुक्त

मैगज़्टर गोल्ड के साथ असीमित हो जाओ

मैगज़्टर गोल्ड के साथ असीमित हो जाओ

10,000 से अधिक पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और प्रीमियम कहानियों तक असीमित पहुंच प्राप्त करें सिर्फ

$NaN
 
$NaN/वर्ष

जल्दी करें, सीमित अवधि का ऑफर!

0

घंटे

0

मिनट

0

सेकंड

.

Kendra Bharati - केन्द्र भारती - May 2016

filled-star
Kendra Bharati - केन्द्र  भारती

मैगज़्टर गोल्ड के साथ असीमित हो जाओ

पढ़ना Kendra Bharati - केन्द्र भारती केवल एक सदस्यता के साथ 10,000+ अन्य पत्रिकाएँ और समाचार पत्र  

कैटलॉग देखें

1 महीना

$14.99

1 वर्ष $149.99

$74.99

$6/month

Save 50%
Hurry, Offer Ends in 6 Days

(OR)

केवल Kendra Bharati - केन्द्र भारती की सदस्यता लें

यह अंक खरीदें: May 2016

May 2016 से शुरू होने वाले undefined अंक

May 2016 से शुरू होने वाले undefined अंक

यह अंक खरीदें

$0.99

Subscription plans are currently unavailable for this magazine. If you are a Magzter GOLD user, you can read all the back issues with your subscription. If you are not a Magzter GOLD user, you can purchase the back issues and read them.

Please choose your subscription plan

किसी भी समय रद्द करें.

(कोई प्रतिबद्धता नहीं) ⓘ

यदि आप सदस्यता से खुश नहीं हैं, तो आप पूर्ण धनवापसी के लिए सदस्यता आरंभ तिथि से 7 दिनों के भीतर हमें help@magzter.com पर ईमेल कर सकते हैं। कोई प्रश्न नहीं पूछा जाएगा - वादा! (नोट: एकल अंक खरीद के लिए लागू नहीं)

डिजिटल सदस्यता

त्वरित पहुँच ⓘ

मैगज़टर वेबसाइट, आईओएस, एंड्रॉइड और अमेज़ॅन ऐप पर तुरंत पढ़ना शुरू करने के लिए अभी सदस्यता लें।

सत्यापित सुरक्षित

भुगतान ⓘ

मैगज़्टर एक सत्यापित स्ट्राइप व्यापारी है।

इस अंक में

भौम ब्रह्म के उपासक - मंत्रद्रष्टा
जिनका मनन किया जाता है उनको मंत्र कहा जाता है। ऋषि मंत्रद्रष्टा होते हैं। वेद मानवता का संविधान है। उसमें मंत्रद्रष्टा ऋषियों के मंत्र संकलित हैं। ऋग्वेद अर्चना का वेद है। यजुर्वेद कर्म प्रेरणा का वेद है। सामवेद संगीत का वेद है। अथर्ववेद रसवेद है। रस जीवनानन्द है। उसे जीवन का वेद कहा जा सकता है।
वेद को अपौषेय माना जाता है। इसलिए यास्क ने ऋषियों को मंत्रद्रष्टा ही माना है - ऋषय मंत्रद्रष्टारः। मंत्रों का रचयिता नहीं माना। मंत्र एक अक्षर का भी हो सकता है। कहा गया है कि कोई भी अक्षर अमंत्र नहीं होता।
वेद में जितने भी मंत्र हैं वे सब मंत्रद्रष्टा ऋषियों की जीवन दृष्टियाँ हैं जिनको अपना कर व्यक्ति श्रेष्ठ मनुष्य बन सकता है। व्यक्ति उसे कहा जाता है जिसमें अभिव्यक्त या प्रकट होने की क्षमता विद्यमान हो। ऐसी क्षमता सब में होती है। कोई उनको प्रकाशित कर पाता है तो कोई नहीं भी कर सकता।
यास्क ने कहा है कि एक शब्द भी अच्छी तरह जान लिया जाय उसे सम्यक् रूप से प्रयुक्त किया जाय तो वह स्वर्ग और लोक में कामधेनु हो जाता है - एकोऽपि शब्दः सम्यक् ज्ञातः सुप्रयुक्तः स्वर्गे लोके च कामधेनु भवति ।
शतर्ची ऋषियों ने अपनी-अपनी दृष्टि से व्यक्ति को मनुष्य बनने की विधि प्रदर्शित की है। एक शतर्ची ऋषि कश्यप है जिनका एक ही मंत्र है। सौ सुनार की - एक लुहार की। कहावत ऐसी ही स्थिति की संकेतक लगती है। ऐसे ही दीर्घ तथा ऋषि दृष्ट मंत्र पौने तीन सौ से अधिक है।
वेद के अध्येता जानते हैं कि कई मंत्रों के मंत्रद्रष्टा एक से अधिक है। क्यों विचार तो सारे वेद से ही प्रमाणित होते है - वेदात् सर्व प्रसिद्धयति। एक विचार को पुष्ट करने वाले तो अनेक हो सकते हैं।
वेद अखिल धर्म के मूल है - वेदाऽखिलो धर्ममूलम्। उस धर्म का समर्थन तो सारा समाज करता है] राष्ट्र करता है और विश्व करता है। वेद ने सूत्र दिया उसका समर्थन ^दशकं धर्म लक्षणम्* कह कर मनु ने किया।

Kendra Bharati - केन्द्र भारती Description:

विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की सांस्कृतिक मासिक हिन्दी पत्रिका "केन्द्र भारती"

हाल के अंक

संबंधित शीर्षक

लोकप्रिय श्रेणियां