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आद्याशक्ति
Jyotish Sagar
|September 2022
शारदीय नवरात्र पर विशेष
-
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
समस्त सम्प्रदायों की तथा समस्त प्रकार की साधना का गुप्त रहस्य आगम (तन्त्र) शास्त्रों में निहित है। तन्त्र केवल शक्ति की उपासना तक ही सीमित नहीं है, वरन् वह सभी साधनाओं का एकमात्र आश्रय है। जीवन के रहस्यों को जानने के लिए, सत्य को उपलब्ध होने के लिए और चेतना शक्ति के विकास के लिए अनेक आयामों का अतिक्रमण करना पड़ता है, तब कहीं जाकर सत्य की उपलब्धि होती है।
योग की साधना हो अथवा तन्त्र की साधना, दोनों ही प्रकृति के नियमों का पालन करती है। प्रत्येक मनुष्य का एक अद्भुत केन्द्र है, परन्तु मनुष्य स्वयं उससे अपरिचित है। योग और तन्त्र की साधनाएँ प्राण, शक्ति, मन: शक्ति और आत्मशक्ति इन तीनों शक्तियों पर आधारित साधनाएँ हैं। इन तीनों शक्तियों की साधना ही योग और तन्त्र की साधना है। इसमें अनेक प्रकार की गुप्त सिद्धि एवं साधनाएँ हैं, परन्तु एक ही मूल शक्ति विभिन्न भावों और रूपों में क्रियाशील है, देवता उसी शक्ति के प्रतीक हैं। हम जिस मन्त्र अथवा यन्त्र को जपते या लिखते हैं और जिस देवता से सम्बन्धित होता है, वह हमारे संकल्पानुसार दैवीय जगत् की भूमि में उसके अणु-परमाणु में परिवर्तित होकर उसी देवता का आकार निर्माण हो जाता है।
Cette histoire est tirée de l'édition September 2022 de Jyotish Sagar.
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