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विचार विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र का संविधान और उसके गुमनाम शिल्पी
Aaj Samaaj
|November 27, 2025
भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जो 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ।
यह दस्तावेज न केवल स्वतंत्र भारत की नींव है, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और लोकतंत्र के सिद्धांतों का प्रतीक भी है। संविधान सभा ने लगभग तीन वर्षों के दौरान, 1946 से 1949 तक, 11 सत्रों और 165 दिनों की बहसों के बाद इसे तैयार किया। इन बहसों में 7,635 संशोधनों पर विचार किया गया, जिनमें से 2,473 को अपनाया गया। ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ, जिसमें सात सदस्य थे। आंबेडकर के अलावा अन्य सदस्यों ने कानूनी विशेषज्ञता प्रदान की, लेकिन कई कारणों से जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, मृत्यु या अनुपस्थिति, बोझ मुख्यतः आंबेडकर पर पड़ा। इसका प्रारंभिक रूप सरकारी दस्तावेजों जैसे गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 से प्रेरित था, लेकिन इसमें विश्व के विभिन्न संविधानों के तत्व शामिल किए गए, जैसे अमेरिकी, आयरिश और कनाडाई। कुल मिलाकर, यह 395 अनुच्छेदों, 8 अनुसूचियों और 22 भागों वाली एक व्यापक कृति है, जिसकी तैयारी पर लगभग 64 लाख रुपये खर्च हुए। डॉ. भीमराव आंबेडकर को संविधान के शिल्पी के रूप में जाना जाता है, जो ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष थे। उन्होंने अस्पृश्यता उन्मूलन, मौलिक अधिकारों और आरक्षण जैसे प्रावधानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन यह कार्य एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सैकड़ों लोगों का सामूहिक प्रयास था। आंबेडकर ने स्वयं अपने समापन भाषण में, 25 नवंबर 1949 को, कहा था कि श्रेय मुख्य रूप से संवैधानिक सलाहकार सर बी.एन. राव और चीफ ड्राफ्ट्समैन एस.एन. मुखर्जी को जाता है। इन अनजाने शिल्पियों ने बिना किसी प्रसिद्धि के शोध, ड्राफ्टिंग, लेखन, साज-सज्जा आदि में वर्षों का श्रम लगाया। ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ, जिसमें सात सदस्य थे। आंबेडकर के अलावा अन्य सदस्यों ने कानूनी विशेषज्ञता प्रदान की, लेकिन कई कारणों से जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, मृत्यु या अनुपस्थिति, बोझ मुख्यतः आंबेडकर पर पड़ा। अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर कानूनी विशेषज्ञ थे और मौलिक अधिकारों तथा संघीय ढांचे पर बहसों में सक्रिय रहे। एन. गोपालास्वामी अयंगर कश्मीर
Cette histoire est tirée de l'édition November 27, 2025 de Aaj Samaaj.
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