अपने बयानों को ले कर चर्चा में रहने वाले बागेश्वर धाम वाले बाबा पंडित धीरेंद्र शास्त्री फिर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने महिलाओं को ले कर बड़ा बयान देते हुआ कहा कि जिस स्त्री की शादी हो गई होती है उस की 2 पहचान होती हैं. पहली मांग का सिंदूर और दूसरी गले का मंगलसूत्र. जिस स्त्री की मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र न दिखे समझ लो प्लाट खाली है और जिस स्त्री की मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र लटका दिखे दूर से ही समझ जाओ कि प्लाट की रजिस्ट्री हो चुकी है.
ये बाबाजी यहीं पर नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा कि श्राप लगे उन ब्यूटीपार्लर वालों को जो जामुन रंग जैसे चेहरे पर इतना फाउंडेशन लगा देते हैं कि चेहरा चमकने लगता है. बेचारा आईना भी कहता होगा कि बस भई हो गया अब, लेकिन फिर उन्होंने अपनी बात पर सफाई देते हुए कहा कि हम शृंगार के विरोध में नहीं हैं और न हमें इस से कोई दिक्कत है, बस जो ज्यादा चटरपटर दिखता है, वह सही नहीं है.
इन बाबा ने कुत्ते का भी उदाहरण देते हुए कहा कि एक होता है पालतू कुत्ता और एक होता है फालतू. जिस कुत्ते के गले में पट्टा हो वह पालतू है. वैसे ही जो राम का पालतू हो जाता है उस के गले में कंठी होती है और जो फालतू होता है वह बिना माला के घूमता है.
यहां बाबा के हिसाब से स्त्री और कुत्ते में ज्यादा फर्क नहीं है. बिना मंगलसूत्र वाली महिला मतलब प्लाट खाली और बिना पट्टे वाला कुत्ता यानी फालतू.
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इस से पहले भी बाबा हिंदू विवाहित महिलाओं की इसी प्रकार पहचान बता चुके हैं.
महिला से बदसलूकी
बागेश्वर धाम से एक वीडियो सामने आया था जहां दारोगा के सामने एक सेवादार ने महिला को उठा कर बैरिकेट के सामने दूसरी साइड फेंक दिया. वैसे वह दारोगा संस्पैंड कर दिया गया. लेकिन बागेश्वर बाबा ने सफाई देते हुए कहा कि वह उन का सेवादार नहीं था.
पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में एक बार ऐसी अफरातफरी मच गई कि उस में 10 लोगों को चोटें आई थीं. वहां गरमी और उमस के कारण कई लोग बेहोश हो गए थे. एक महिला की मौत भी हो गई थी.
बयानबाजी सुर्खियों में
Esta historia es de la edición August Second 2023 de Grihshobha - Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 8500 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición August Second 2023 de Grihshobha - Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 8500 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
आजादी सिर्फ आदमियों के लिए नहीं
पैट डॉग्स आदमी का साथी सदियों से रहा है पर जब से आदमी ने गांवों को छोड़ कर घने शहरों की बस्तियों और फिर बहुमंजिले मकानों में रहना शुरू कर दिया है, मैन ऐनिमल कंपीटिशन चालू हो गया है.
यहां मायावी मकड़जाल है
ई कॉमर्स के हजार गुण हों पर ई असलियत में यह एक तरह की साजिश है जिस में सस्ती लेबर का इस्तेमाल कर के खातेपीते लोगों को घर से निकले बिना सब सुविधाएं दिलाना है. ई कॉमर्स का मुख्य धंधा एक तरफ वेयर हाउसिंग, स्टैकिंग और डिलिवरी पर निर्भर है तो दूसरी ओर ग्राहकों को मनमाने प्रोडक्ट घर बैठे पाने के लालच में खरीदने के लिए एनकरेज करना है.
औरतों को गुलाम बनाए रखने की साजिश
पिछले छले आम चुनावों में तरहतरह से मतदाताओं को प्रलोभन देने और हर वोट की कीमत है, समझ कर सभी पार्टियों ने परस्पर विरोधी बातें भी कहीं पर फिर भी जड़ों में अंदर तक जमा भेदभाव पिघला नहीं. देश का बड़ा वर्ग मुसलमानों, दलितों को ही अलगअलग रखता रहा. इन की ही नहीं सवर्णों व ओबीसी यानी पिछड़ों की औरतों को भी निरर्थक समझता रहा.
मोबाइल जब फोबिया बन जाए
क्या आप भी हर समय अपने फोन में लगे रहते हैं, तो आइए जानते हैं क्या हैं इस के नुकसान...
इंडियन ब्राइडल फैशन शो और क्राफ्ट कला प्रतियोगिता का आयोजन
दिल्ली प्रैस की पत्रिका 'गृहशोभा' द्वारा समयसमय पर महिलाओं को ले कर अनेक छोटेबड़े आयोजन होते रहते हैं. इन आयोजनों के लिए 'गृहशोभा' एक मजबूत मंच है.
सैक्स के बिना नीरस है दांपत्य
सैक्स को ले कर अकसर गलत और भटकाने वाली बातें होती हैं. मगर क्या आप जानते हैं इसके फायदों के बारे में...
क्राइम है सैक्सुअल हैरसमैंट
शिक्षा ने महिलाओं के विकास और बराबरी का मार्ग तो प्रशस्त किया है, लेकिन कई बार उन्हें कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ती है, जान कर हैरान रह जाएंगे आप...
क्या है खुश रहने का फौर्मूला
सुखसुविधा से संपन्न जिंदगी जी रहे हैं मगर खुश नहीं रह पाते, तो यह जानकारी आप के लिए ही है...
गृहशोभा एम्पावर मौम्स इवैंट
'मदर्स डे' के खास मौके पर महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए 'दिल्ली प्रैस की मैगजीन गृहशोभा ने 'एम्पावर मौम्स' इवैंट का आयोजन किया. इस के सह-संचालक एपिस थे. एसोसिएट स्पौंसर जॉनसंस एंड जॉनसंस, स्किन केयर पार्टनर ग्रीनलीफ, गिफ्टिंग पार्टनर डेलबर्टो, होमियोपैथी पार्टनर एसबीएल और स्पैशल पार्टनर श्री एंड सैम थे.
संस्कार धर्म का कठोर बंधन
व्यावहारिकता के बजाय संस्कारों के नाम पर औरतों को गुलाम रखने की एक साजिश सदियों से चली आ रही है. आखिर इस के जिम्मेदार कौन हैं...