![थिएटर से ही सबकुछ मिला श्वेता त्रिपाठी शर्मा](https://cdn.magzter.com/1338803896/1682270614/articles/qFGR37HdL1682337482143/1682337736724.jpg)
सिनेमा के परदे पर निरंतर जमीन से जुड़े और सशक्त नारी की तसवीर पेश करने वाले किरदारों को निभाती आ रही अदाकारा श्वेता त्रिपाठी शर्मा ने महज अपने 8 वर्ष के कैरियर में काफी उपलब्धियां हासिल कर ली हैं. श्वेता एकमात्र वे अदाकारा हैं, जो अपने कैरियर की पहली ही फिल्म 'मसान' से 'कांस इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल' में दस्तक देने में कामयाब हो गई थीं. जब उन का कैरियर सरपट भाग रहा था, तभी उन्होंने रैपर व म्यूजीशियन चैतन्य शर्मा उर्फ चीता के साथ 2018 में विवाह रचा लिया. तब लोगों ने कहा था कि श्वेता ने अपने कैरियर पर कुल्हाड़ी मारी. मगर उन का कैरियर निरंतर उंचाइयों की ओर जा रहा है.
श्वेता को वैब सीरीज 'मिर्जापुर' में गोलू के किरदार से जबरदस्त शोहरत मिली. इस में उन का गोलू का किरदार कालेज चुनाव जीतने से ले कर आत्म सुख व यौन सुख के लिए मास्टरबेशन करते नजर आता है.
के प्रस्तुत हैं श्वेता त्रिपाठी शर्मा से हुई बातचीत कुछ खास अंश:
आप को अभिनय का चसका कैसे लगा?
अभिनय का चसका जब किसी इंसान को लग जाता है, तो जब तक वह उसे पूरा नहीं करता, तब तक वह इंसान को तंग करता रहता है. मुझे अभिनय का शौक बचपन से रहा है. मैं केजी से स्टेज पर रही हूं. बचपन में स्टेज पर अलगअलग किरदार करने में जो मजा आता था, उतना ही मजा मुझे अभी भी आता है.
मगर आप को यह अभिनय का चसका लगा कहां से?
मुझे टीवी देखने का शौक रहा है और टीवी पर जो विज्ञापन आते थे वे मुझे बहुत फैशिनेट करते थे. कई एड देख कर मुझे लगता था कि मुझे भी उस में होना है. जब बड़ी हुई और नाटक देखने शुरू किए, तो उस वक्त भी 'पृथ्वी थिएटर फैस्टिवल' हुआ करते थे. तब तक मुझे नहीं पता था कि पृथ्वी थिएटर क्या है, किस ने कब शुरू किया. लेकिन मेरे मम्मीपापा ने कल्चर और कल्चर से जुड़ी चीजों को बहुत महत्त्व दिया. सभी जानते हैं कि मेरे पापा आईएएस ऑफिसर रहे हैं और मां अवकाशप्राप्त शिक्षक हैं.
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![आजादी सिर्फ आदमियों के लिए नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/qq1htPDYY1718105958507/1718106023380.jpg)
आजादी सिर्फ आदमियों के लिए नहीं
पैट डॉग्स आदमी का साथी सदियों से रहा है पर जब से आदमी ने गांवों को छोड़ कर घने शहरों की बस्तियों और फिर बहुमंजिले मकानों में रहना शुरू कर दिया है, मैन ऐनिमल कंपीटिशन चालू हो गया है.
![यहां मायावी मकड़जाल है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/OvlW6FMNK1718105851846/1718105958339.jpg)
यहां मायावी मकड़जाल है
ई कॉमर्स के हजार गुण हों पर ई असलियत में यह एक तरह की साजिश है जिस में सस्ती लेबर का इस्तेमाल कर के खातेपीते लोगों को घर से निकले बिना सब सुविधाएं दिलाना है. ई कॉमर्स का मुख्य धंधा एक तरफ वेयर हाउसिंग, स्टैकिंग और डिलिवरी पर निर्भर है तो दूसरी ओर ग्राहकों को मनमाने प्रोडक्ट घर बैठे पाने के लालच में खरीदने के लिए एनकरेज करना है.
![औरतों को गुलाम बनाए रखने की साजिश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/5SMnmwLJK1718105713090/1718105850025.jpg)
औरतों को गुलाम बनाए रखने की साजिश
पिछले छले आम चुनावों में तरहतरह से मतदाताओं को प्रलोभन देने और हर वोट की कीमत है, समझ कर सभी पार्टियों ने परस्पर विरोधी बातें भी कहीं पर फिर भी जड़ों में अंदर तक जमा भेदभाव पिघला नहीं. देश का बड़ा वर्ग मुसलमानों, दलितों को ही अलगअलग रखता रहा. इन की ही नहीं सवर्णों व ओबीसी यानी पिछड़ों की औरतों को भी निरर्थक समझता रहा.
![मोबाइल जब फोबिया बन जाए](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/LIrFeUXNC1718105466833/1718105667495.jpg)
मोबाइल जब फोबिया बन जाए
क्या आप भी हर समय अपने फोन में लगे रहते हैं, तो आइए जानते हैं क्या हैं इस के नुकसान...
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गृहशोभा एम्पावर मौम्स इवैंट
'मदर्स डे' के खास मौके पर महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए 'दिल्ली प्रैस की मैगजीन गृहशोभा ने 'एम्पावर मौम्स' इवैंट का आयोजन किया. इस के सह-संचालक एपिस थे. एसोसिएट स्पौंसर जॉनसंस एंड जॉनसंस, स्किन केयर पार्टनर ग्रीनलीफ, गिफ्टिंग पार्टनर डेलबर्टो, होमियोपैथी पार्टनर एसबीएल और स्पैशल पार्टनर श्री एंड सैम थे.
![संस्कार धर्म का कठोर बंधन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/b3PMwUniX1718103760866/1718103899129.jpg)
संस्कार धर्म का कठोर बंधन
व्यावहारिकता के बजाय संस्कारों के नाम पर औरतों को गुलाम रखने की एक साजिश सदियों से चली आ रही है. आखिर इस के जिम्मेदार कौन हैं...