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हनूमान् जी की जन्मपत्रिका और उसमें विद्यमान प्रमुख योग

Jyotish Sagar

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April 2024

लग्नेश उच्च राशिस्थ ग्रह से देखा जाए, तो मरुत्वेग नाम का योग बनता है। इस योग के प्रभाव से जातक वायुवेग के समान शीघ्रगमन करने वाला और अत्यधिक कल्पनाशील होता है।

हनूमान् जी की जन्मपत्रिका और उसमें विद्यमान प्रमुख योग

सप्त चिरंजीवियों में स्थान प्राप्त महावीर हनूमान् ने चारित्रिक दृढ़ता, बल, शौर्य एवं स्वामीभक्ति का जो अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह सर्वत्र दुर्लभ है। श्री हनूमान् जी के जन्मकाल और जन्म समय के सम्बन्ध में अनेक मतभेद विद्वानों में हैं, लेकिन शोध और विश्लेषण के पश्चात् जो प्रामाणिक जन्मपत्रिका हमें उपलब्ध हुई, उसके अनुसार हम इनके व्यक्तित्व और कृतित्व का आकलन प्रस्तुत कर रहे हैं। हनुमान जी की पत्रिका में लग्न मकर है और चन्द्रमा चित्रा नक्षत्र में स्थित है। सूर्य, मंगल, शुक्र, गुरु और शनि अपनी-अपनी उच्च राशियों में स्थित हैं। इनकी और भगवान् श्रीराम की जन्मपत्रिका में बहुत साम्य है।

जन्मपत्रिका में लग्न का प्रमुख स्थान होता है। श्री हनूमान जी की जन्मपत्रिका में मकर लग्न है। मकर लग्न वाले सामान्यतः मजबूत कदकाठी वाले और बलिष्ठ होते हैं। इसका सर्वोत्तम उदाहरण हनूमान् जी हैं। इसके अतिरिक्त चन्द्र लग्न, सूर्य लग्न और जन्म लग्न तीनों में ही केन्द्र भावों में उच्च के ग्रह स्थित हैं। लग्नेश शनि उच्च का है और लग्न पर उच्च के गुरु की दृष्टि इसी कारण श्री हनुमान जी ने त्याग और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

लग्न स्थान में उच्च राशि का मंगल स्थित है। पराक्रम भाव में उच्च राशि का शुक्र स्थित है। इन ग्रह स्थितियों के कारण ही महावीर हनूमान् महान् पराक्रमी और अतुलनीय शत्रुहन्ता हुए। सूर्य, रावण, मेघनाद, भीम और इन्द्र जैसे महान् योद्धाओं के गर्व को भी उन्होंने अपने पराक्रम से चूर-चूर कर दिया था।

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