भारतीय संस्कृति में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना अनूठी है। हमारी संस्कृति में केवल अपने घर-परिवार के ही नहीं, वरन् सम्पूर्ण दुनिया के नागरिकों को एक परिवार के रूप में सम्मान देने की बात कही गई है। भारतीय संस्कृति में अपने पूर्वजों एवं पितरों के सम्मान के लिए नैतिक कर्त्तव्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। भाद्रपद मास पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू हो जाता है।
ऐसी मान्यता है कि पुरखों को जब उनका वंशज श्राद्धकर्म करके जलांजलि देकर उनकी आत्मा को तृप्ति प्रदान करता है, तो दिवंगत हो चुके उसके परिवार के सदस्यों के पुरखे उसे स्वर्ग से ही आशीर्वाद देते हैं। इसके बाद मृत्यु वाली तिथि को परिवार के सदस्य हवन-पूजन के साथ श्राद्धकर्म करके उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। पितृपक्ष पर एक पखवाड़ा तक लोग प्रतिदिन अपने पितरों का तर्पण करते हैं। पितृपक्ष के अन्तिम दिन उन पितरों का तर्पण किया जाता है। ऐसे पितरों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती। इस अवसर पर हमें देश के उन सपूतों का तर्पण करना चाहिए, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना जीवन बलिदान कर दिया, जिनका इतिहास में भी नाम दर्ज नहीं है। ऐसे ज्ञात-अज्ञात देश के शहीदों को भी तर्पण करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य है, और श्राद्ध करना भी हमारा धर्म है।
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अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
घर की सीढ़ियों की दशा और दिशा आदि का विचार
दक्षिण-पश्चिम अथवा नैर्ऋत्य कोण सीढ़ियों के लिए शुभ माना जाता है, वहीं उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सीढ़ियाँ निर्मित नहीं करनी चाहिए।
भक्ति, वात्सल्य एवं शृंगार के परिचायक महाकवि सूरदास
पुष्टिमार्गीय भक्ति के दार्शनिक स्वरूप को सूरदास जी ने भली-भाँति समझा था तथा समझकर काव्य की भाव भूमि पर उसे प्रेषणीय बनाने के लिए वात्सल्य रस का अवलम्बन लिया।
क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर!
सावरकर जेल से छूटकर जब वापस भारत आए, तो देश की आजादी का आन्दोलन जोर पकड़ रहा था। अब उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद का समर्थन किया। जब देश के विभाजन का प्रस्ताव आया, तो सावरकर ने इसका विरोध किया पर तत्कालीन परिस्थितियों के कारण अन्ततोगत्वा देश का विभाजन हुआ।
पीपल को क्यों नहीं काटना चाहिए?
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने बताया है कि, पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी कारण पीपल की पूजा करने पर भगवान् श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दःखों को दूर करते हैं।
मृत्यु से परे की सत्यता!
उसने मेरे पैरों पर मकड़े से चलाए और मेरे दोनों पैर स्थिर कर दिए। जब मैंने क्षमा माँगी, तो वह मेरे सामने आ गया।
कैसा रहेगा भारत के लिए वृषभ का गुरु?
संसद एवं विधानसभाओं पर कार्यपालिका की प्रधानता तो रहेगी, परन्तु विपक्ष की बली स्थिति और उसकी सक्रियता के चलते सत्ता पक्ष पर अंकुश भी रहेगा, जिससे संसदीय लोकतन्त्र की शक्ति का अहसास भी होगा।
आम चुनाव, 2024 के सन्दर्भ में नरेन्द्र मोदी और राहुल के सितारे!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आम चुनाव, 2024 की दृष्टि से वर्तमान समय बहुत प्रतिकूल नहीं है। हालाँकि राहु की अन्तर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा और बाद में आ रही चन्द्रमा की प्रत्यन्तर्दशा नैसर्गिक रूप से अच्छी नहीं मानी जाती।