बात कोविड के समय की है. सोशल मीडिया पर बहुत सारे शोक संदेश लोग दे रहे थे. मोहनलाल नामक एक व्यक्ति रेलवे से रिटायर हुए थे. उन के बेटे मदन ने अपनी फेसबुक पर उन की फोटो पोस्ट की जिस में उन के गले में फूलमाला पड़ी हुई थी. बेटे मदन ने लिखा पिताजी रिटायर हो गए. सफलतापूर्वक नौकरी की. उस के नीचे कमैंट में कई लोगों ने शोक संदेश लिख दिए. कुछ ने लाइक भी कर दिया.
शोक संदेश देने में जल्दी का कोई महत्त्व समझ नहीं आया. कई बार छोटेबड़े सभी के साथ ऐसा हो गया कि वह अस्पताल में भरती है. किसी ने उस के मरने की अफवाह उड़ा दी. ऐसे में बिना सच का पता किए लोगों ने शोक संदेश देने शुरू कर दिए. बाद में पता लगा कि वह इंसान तो अभी जिंदा है. पहली बात बिना किसी सच को जाने ऐसे संदेश देना बहुत ही गलत बात होती है. इस से बचना चाहिए.
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निसंतानता पर फिल्में क्यों नहीं
देर से शादी, फर्टिलिटी रेट के गिरने व अन्य कारणों के चलते आजकल कपल्स के बीच निसंतानता बड़ी समस्या बन कर उभरी है. लेकिन इतने बड़े मुद्दे पर फिल्में नहीं बन रहीं. आखिर वजह क्या है, जानिए.
सर जी मी टू
मैं अपना बोरियाबिस्तर बांध आप के चार्टर यान की राह में पलकें बिछाए तैयार बैठा हूं, हे असंतुष्टों के नाथ, मैं आप के करकमलों द्वारा अपने गले में इज्जत का पट्टा डलवाने को बेकरार हूं.
बच्चों को रिस्क उठाने दें
बच्चा अगर धूप, धूल और मिट्टी में खेलना चाहता है तो उसे खेलने दीजिए, वह अगर पेड़ और पहाड़ पर चढ़ना चाहता है तो उसे चढ़ने दीजिए, वह अगर ऐसी कोई दूसरी एक्टिविटी, जो आप को जोखिमपूर्ण लगती हो, में शामिल होना चाहता है तो उसे रोकिए मत ताकि जरूरत पड़ने पर वह खुद की सहायता कर सके.
बाप बड़ा न भैया सब से बड़ा रुपैया
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क्या आसान हो गया है जैंडर चेंज कराना
जैंडर चेंज कराने के पीछे जैंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर या जैंडर डायसोफोरिया है. इस के पीछे हार्मोनल बदलाव का होना है. जैंडर चेंज कराने वालों या इस की इच्छा रखने वालों का लोग अकसर मजाक उड़ाते हैं, पर समझने की बात यह है कि इसे कराने वाले ही जानसमझ सकते हैं कि वे अपनी लाइफ में क्या कुछ नहीं झेल रहे होते.
एंटीबायोटिक क्यों है खतरनाक
अकसर लोग छोटीछोटी बीमारियों के लिए एंटीबायोटिक खाते हैं, लेकिन क्या आप को पता है कि एंटीबायोटिक दवा के अनावश्यक और अत्यधिक उपयोग सेहत पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है?
सरकारी स्कूलों के बच्चे भी ला सकते हैं अच्छे नंबर
अगर एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी को हटा दिया जाए तो प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के बीच बुनियादी सुविधाओं का अंतर धीरेधीरे खत्म होता जा रहा है. ऐसे में यदि मेहनत और लगन से पढ़ाई करवाई जाए तो सरकारी स्कूलों के बच्चे भी अच्छे अंक ला सकते हैं.
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