अमेरिका की बाइडन सरकार ने इस बार भारत के ऊपर भरोसा जताते हुए बड़ा दांव खेला है। मिलिटरी जेट इंजन से लेकर अंतरिक्ष अन्वेषण, आपूर्ति श्रृंखला, कारोबारी गठजोड़ और लचीली वीजा सुविधाओं तक के तमाम क्षेत्रों में अमेरिका अब अपनी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को भारत के साथ न केवल साझा करने को तैयार है, बल्कि संयुक्त उत्पादन भी करेगा। इस सिलसिले में अमेरिकी कंपनी माइक्रॉन टेक्नोलॉजी गुजरात के साणंद में सेमिकंडक्टर चिप की असेंबली और परीक्षण के 2.5 अरब डॉलर के एक कारखाने में 82.5 करोड़ डॉलर निवेश करेगी। बाकी रकम केंद्र और गुजरात सरकार लगाएगी, जिससे प्रत्यक्ष और परोक्ष 20000 रोजगार पैदा होंगे। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच हुई आधिकारिक बातचीत के अंत में जारी 58 सूत्रीय संयुक्त बयान में इन समझौतों का विवरण दर्ज है। दोनों नेताओं ने दुनिया में अमेरिका और भारत के करीबी रिश्ते के नजरिये को साझा किया। यह दो ऐसे लोकतंत्रों का गठजोड़ होगा, जो उम्मीद, महत्वाकांक्षा और आत्मविश्वास के साथ इक्कीसवीं सदी को देख रहे हैं।
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जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
ममता दीदी की दुखती रग
इस चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार ही ममता की सबसे बड़ी चुनौती
हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
तीसरी बारी क्यों
विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार और संविधान बदलने तथा आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाकर देश की जनता को गुमराह नहीं कर सकता
क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा