इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ऐसे समय हो रहा है जब दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक पर्व शुरू होने जा रहा है. आज जब सारी दुनिया अनिश्चितता के भंवर में फंसी है, एक बात निश्चित है कि भारत तेज गति से बढ़ता रहेगा. आज मूड ऑफ द नेशन भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना है. आज मूड ऑफ द नेशन विकसित भारत का निर्माण करना है.
जब भी मैं ऐसे कॉन्क्लेव में आता मुझसे उम्मीद की जाती है कि मैं आपको कई सारी हेडलाइन देकर जाऊंगा. हालांकि मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो हेडलाइन के लिए नहीं बल्कि डेडलाइन के लिए काम करता है. और इसलिए आज मैं उन चीजों के बारे में बात करूंगा जो मीडिया को आकर्षक नहीं लगतीं. मीडिया भले उन्हें छूना पसंद न करे, पर ये ऐसे मुद्दे हैं जो आम मानव को छूते हैं. उदाहरण के लिए स्टार्ट-अप. दस साल पहले बहुत कम स्टार्टअप थे, मुश्किल से 100 रहे होंगे. आज करीब 1.25 लाख रजिस्टर्ड स्टार्ट-अप हैं. मगर भारत की स्टार्ट-अप क्रांति को महज संख्याओं से नहीं पहचाना जाता, असल ताकत इस बात में है कि ये स्टार्ट-अप भारत के 600 से ज्यादा जिलों में हैं - एक तरीके से देश के 90 प्रतिशत क्षेत्र में. यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है.
अन्यथा लोग सोचते हैं स्टार्ट-अप का मतलब है बेंगलूरू. लेकिन टियर 2 और टियर 3 शहरों के युवा स्टार्ट-अप क्रांति का नेतृत्व कर रहे हैं. और जिन्होंने (विपक्षी दलों ने ) कभी स्टार्ट-अप की चर्चा नहीं की, अब स्टार्ट-अप के बारे में बात करने को मजबूर हैं.
एक और योजना के बारे में बात करना जरूरी है, जो जमीन पर नौकरियों और स्वरोजगार में भारी बदलाव ला रही है. मुद्रा योजना. हमारे देश में बैंकों से मदद लेने के लिए युवाओं को कई जगहों पर कई गारंटियां देनी पड़ती थीं. मगर मुद्रा योजना की बदौलत ऐसे युवा भी बैंक लोन ले सकते हैं जिनके पास कोई गारंटी नहीं है. 26 लाख करोड़ रुपए के बैंक लोन किसी गारंटी के बिना छोटे उद्यमियों को बांटे गए हैं. इनमें से मुद्रा के 8 करोड़ लाभार्थी वे हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार कारोबार शुरू किए.
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