यह राज्य में विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले कुछ आखिरी कैबिनेट से बैठकों में से एक थी और इसमें 119 विषयों पर चर्चा हुई, लेकिन इनमें दो ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रहे. एक, अनुसूचित जाति (एससी) सूची में शामिल विभिन्न उप-समूहों के लिए आंतरिक कोटा निर्धारित करना और राज्य के दो प्रमुख जाति समूहों, वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आरक्षण बढ़ाना.
इसके बारे में मुख्यमंत्री ने कहा, "यह मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने जैसा" है. उन्होंने कहा, "दो-तीन दशकों तक सरकारें इस मसले को टालती रहीं. समाधान निकालने का कोई प्रयास ही नहीं किया गया." बहरहाल, भाजपा जो समाधान लेकर आई, उसके पीछे इरादा जाहिर तौर पर मुसलमानों को पिछड़े वर्गों के आरक्षण से बाहर करना था, और इससे मुक्त हुआ 4 फीसद कोटा लिंगायतों और वोक्कालिगाओं के बीच समान रूप से बांटा जाएगा.
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