आजकल हमारी लाइफ में भागदौड़ कुछ ज्यादा ही हो गई है, खासकर काम करने वाली महिलाओं में, क्योंकि वे दोहरी भूमिका निभा रही हैं. उन को घर व औफिस दोनों संभालने पड़ते हैं. घर पर आते ही बच्चों, बड़ों और पति आदि सभी की खाने में नितनई फरमाइश पूरी करनी पड़ती है. आखिर उन को नाराज भी तो नहीं कर सकतीं. जिस कारण वे तनाव और थकान महसूस करती हैं. उन को कम समय में बहुत ज्यादा काम करने पड़ते हैं. इसी बीच यदि कोई काम वाला या वाली छुट्टी पर हो तो घर के काम, जैसे खाना बनाना, बरतन, साफसफाई आदि भी उन को ही करने पड़ते हैं जिस के कारण उन का तनाव, चिड़चिड़ाहट ज्यादा ही बढ़ जाता है. उन के पास हमेशा ही समय का अभाव बना रहता है.
आजकल घर में आने के बाद महिलाएं यदि कुछ ढूंढ़ रही हैं तो वह है सुकून. आज हमारे पास सबकुछ है सिवा सुकून के. यदि हम अपनी व्यस्तताभरी लाइफ में थोड़ा भी सुकून चाहते हैं तो हम अपनी लाइफस्टाइल में में कुछ बदलाव ला कर और मिनिमलिस्टिक लाइफ स्टाइल को अपना सकते हैं. यह काफी कारगर साबित होगी.
मिनिमलिस्टिक लाइफस्टाइल का अर्थ है सादगीभरा जीवन, बिना किसी चमकधमक के कम से कम चीजों के साथ रहना और खर्चों में कमी करना.
आजकल यह बहुत तेजी से बढ़ रही है क्योंकि व्यस्तताभरी लाइफ के कारण हम को सुकून से बैठनेउठने का समय ही नहीं मिल रहा है. छुट्टी का दिन घर व्यवस्थित करने में ही निकल रहा है और यदि समय पर काम खत्म नहीं होता तो हम को तनाव, गुस्सा और चिड़चिड़ाहट होने लगती है, जिस का सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.
इस लाइफस्टाइल को अपना कर हम महसूस कर सकते हैं कि किन चीजों के बिना हम नहीं रह सकते और किन चीजों की हमें आवश्यकता है और किन चीजों की हम इच्छा रखते हैं. सब से महत्त्वपूर्ण बात जो हम से इस लाइफस्टाइल से सीखने को मिलती है वह है 'हमारी इच्छा और आवश्यकता में फर्क करना’. कुछ चीजें हम अपनी आवश्यकता के लिए करते हैं और कुछ हम अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए करते हैं.
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