याद कीजिए आखिरी बार आपने टेलर से कपड़े कब सिलवाए और सिलवाए भी तो कितने? शायद पहले के मुकाबले काफी कम । अब तो हाल यह है कि लोगों से मिले या खुद बड़े चाव से खरीदे अच्छे से अच्छे सूट या ड्रेस मैटीरियल सालों से वैसे के वैसे ही अलमारी में रखे रह जाते हैं। बेचारे कब से बाहर निकलकर कैंची लगने और सिलाई मशीन से गुजरने की राह में आउट ऑफ फैशन हुए जा रहे हैं। रेडीमेड का जमाना है, अब यहां सब कुछ इंस्टेंट होता है। शॉपिंग ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, हम सिल-सिलाए कपड़ों की ओर ही भागने लगे हैं। ऐसे में सबसे पहले हमें कपड़े का लुक, वर्क या प्रिंट पसंद आता है और उसके बाद हम उसके मैटीरियल की ओर गौर करते हैं। लेकिन इस एक नजर की पसंद में जिस बात को हम नजरअंदाज कर देते हैं या कम आंकते हैं, वह है उसकी फिटिंग।
मैं भी यूं ही खाली बैठी ऑनलाइन विंडो शॉपिंग ही कर रही थी। अचानक नजर पड़ी एक बेहतरीन से को-ऑर्ड सेट पर और उसकी कुछ तस्वीरें देखते-देखते ही उसे लेने का मन बना लिया। फिर याद आया कि ऐसे कैसे ले लूं, पहले रिव्यू तो पढ़ लूं। रिव्यू में बहुत से लोगों ने उस ड्रेस की तसवीरें डाल रखी थीं। पर, सच बताऊं मुझे उनमें से किसी पर भी वह ड्रेस अच्छी ही नहीं लगी, जितनी वह मॉडल पर लग रही थी। खैर मेरे तो पैसे बच गए, लेकिन यह बात सोचने वाली थी कि आखिर वही ड्रेस बाकी लोगों पर खास क्यों नहीं लग रही थी ? और कहीं उस मॉडल वाली तसवीर को देखकर मैंने भी ड्रेस खरीद ली होती तो? सच बताऊं तो पहले ऐसी गलती मैं भी कर चुकी हूं। मैंने इस बारे में फैशन डिजाइनर श्रुति संचेती से बात की तो उन्होंने बताया कि मॉडल को ड्रेस या तो ऑल्टर करके या पीछे से क्लच करके पहनाई जाती है ताकि वह ड्रेस फिटिंग की नजर आए। लेकिन असल में तो हम इस तरह से कपड़े नहीं पहन सकते। ड्रेस कैसी भी हो, वह खिल कर तभी आती है, जब अच्छी फिटिंग की हो।
समझें अपने बॉडी टाइप को
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कद्दू ही नहीं उसका बीज भी है फायदेमंद
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स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं, साथ ही शुरू हो चुकी है बच्चों की मौज-मस्ती। पर, एक अभिभावक के रूप में छुट्टियों में भी बच्चे के रूटीन को एक दिशा देने की जरूरत है ताकि वह मौजमस्ती के साथ-साथ कुछ नया व अनूठा भी सीख सकें। कैसे गर्मी की छुट्टियों को बच्चे के लिए बनाएं खुशियों का खजाना, बता रही हैं शाश्वती
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