आजकल खेती के ज्यादातर काम कृषि यंत्र के जरीए किए जा रहे हैं. कई बार खेती के काम में एक यंत्र के बाद उस की सहायक मशीनों का भी सहारा लेना पड़ता है. ऐसी ही एक मशीन है स्ट्रा रीपर, जिसे फसल अवशेष प्रबंधन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. कंबाइन हार्वेस्टर के इस्तेमाल से फसलों की कटाई के बाद बचे हुए पुआल की कटाई के लिए स्ट्रा रीपर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है.
यह मशीन कम श्रम और कम खर्च में इस काम को आसानी से पूरा करने में सक्षम है और इस का सब से बड़ा फायदा यह है कि इस के प्रयोग से पराली की समस्या भी हल होती है और फसल के बचे अवशेषों से भूसा बनता है.
स्ट्रा रीपर यंत्र एकसाथ 3 तरह के काम करता है. यह यंत्र खड़ी फसल को काटता है, थ्रैशिंग करता है और पुआल का भूसा भी बनाता है. स्ट्रा रीपर यंत्र को ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाया जाता है.
सोनालिका स्ट्रा रीपर
इस कंबाइन हार्वेस्ट से गेहूं, धान, सरसों, मक्का और सोयाबीन काटने के बाद बचे डंठल को दोलन करने वाले ब्लेड से काटता है और इस की घूमने वाली रील इन डंठलों को पीछे की ओर पहुंचाती है और बरमा करती है. बरमा और गाइड ड्रम द्वारा इन डंठल को थैशिंग सिलैंडर तक पहुंचाया जाता है, जहां डंठल को विभिन्न आकारों में काटा जाता है. मशीन के नीचे अनाज टैंक भी होता है, जिस में फसल अवशेष से बचे हुए अनाज को इकट्ठा किया जाता है.
Esta historia es de la edición April First 2023 de Farm and Food.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 8500 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición April First 2023 de Farm and Food.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 8500 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
मई माह में खेती के खास काम
गरमी के इस खरीफ महीने मई में गेहूं की कटाई कर भंडारण के लिए उसे धूप में सुखा लें. उस में नमी की मात्रा 8-10 फीसदी रहे, तब इस का भंडारण करें. भंडारण से पहले भंडारगृह को कीटनाशी दवा से साफ कर लें.
आम की अनेक व्यावसायिक किस्में
अपने ही देश में तकरीबन आम की 1,000 किस्में ऐसी हैं, जिन का व्यावसायिक तौर पर उत्पादन किया जा सकता है, लेकिन इस में से बहुत कम ऐसी किस्में हैं, जिन का उत्पादन व्यावसायिक निर्यात के नजरिए से किया जाता है.
आम की बौनी, रंगीन और व्यावसायिक किस्में
हमारे देश में उगाए जाने वाले फलों में आम ही एक ऐसा फल है, जो अपने अलगअलग स्वाद, सुगंध और रंगों के लिए जाना जाता है. आम में पाया जाने वाला पोषक गुण भी इसे विशेष बनाता है, इसीलिए इसे 'फलों के राजा' का दर्जा भी प्राप्त है. आम ही एकलौता ऐसा फल है, जिस की बागबानी दुनिया के लगभग सभी देशों में की जाती है.
जलवायु परिवर्तन के दौर में काला नमक धान की खेती
काला नमक धान काली भूसी और तेज खुशबू वाली धान की एक पारंपरिक किस्म है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई वाले इलाकों के 11 जिलों और नेपाल में उगाई जाने वाली यह पारंपरिक किस्म वर्तमान में मौसम के उतारचढ़ाव और प्राकृतिक आपदा आदि के कारण कम उपज का कारण बनती है.
पैडी प्लांटर धान रोपाई यंत्र
हाथ से धान की रोपाई करने का काम बहुत थकाने वाला होता है. धान की रोपाई में कई घंटों तक झुक कर रोपाई करनी होती है, जिस से काफी परेशानी होती है और समय भी बहुत लगता है. अब बहुत से किसान धान की रोपाई हाथ के बजाय मशीनों से कर रहे हैं.
कसावा की उन्नत खेती करें
साबूदाना बनाने के लिए सब से पहले कसावा के कंद को अच्छे से धोया जाता है. इस के बाद कंदों को छील कर उनकी पिसाई की जाती है
खेत जुताई यंत्र रोटावेटर
बहुत से दूसरे यंत्रों की तरह रोटावेटर खेती में इस्तेमाल होने वाला एक ऐसा यंत्र है, जिसे ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर काम किया जाता है. इस का खासकर इस्तेमाल खेत की जुताई के लिए किया जाता है.
ड्रम सीडर यंत्र करे धान की सीधी बोआई
धान की फसल के लिए कई विधियों का प्रयोग किया जाता है. इस में नर्सरी से धान के खेत में सीधी रोपाई, एसआरआई विधि, खेत में छिटकवां विधि से धान की बोआई व ड्रम सीडर से धान की सीधी बोआई आदि.
मोटे अनाज के बेकरी उत्पादों को बनाएं रोजगार
18 मार्च, 2024 कभी मोटे अनाज (श्रीअन्न) जैसे बाजरा, ज्वार, रागी, कांगणी, सांवा, चीना आदि को गरीबों का भोजन माना जाता था, लेकिन आज अमीर आदमी मोटे अनाज के पीछे भाग रहा है. दरअसल, मोटे अनाज में ढेर सारी बीमारियों को रोकने संबंधी पोषक तत्त्वों की भरमार है, इसलिए लोग श्रीअन्न को अपने भोजन में शामिल करने लगे हैं.
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत जागरुकता कार्यक्रम
27 मार्च, 2024 को कृषि अनुसंधान केंद्र, बोरवट फार्म बांसवाड़ा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत एकदिवसीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन झेर्पारा (करजी) गांव में किया गया.