रासायनिक दवाओं के अत्यधिक प्रयोग से उन का प्रभाव फसलों में पाए जाने वाले रोगाणुओं पर कम होने लगा है, पर्यावरण दूषित हो रहा है, मित्र कीटों को अपनी स्थापना बनाए रखने में परेशानी हो रही है. खाद्य पदार्थों में रोगाणुनाशियों के अवशेष रह जाने से मानव सेहत के लिए गंभीर संकट पैदा हो गया है. लिहाजा, सुनियोजित एवं विवेकपूर्ण फसल प्रबंधन योजनाएं ही फसलों पर आने वाले रोगों से सुरक्षित कर अधिक उपज प्राप्त करने में मुख्य भूमिका निभाती है.
वास्तव में यही समेकित रोग प्रबंधन है. आज के दिन हम बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्यान्न की मांग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. आज गेहूं की उपज बढ़ाने में भी बाधाएं आ रही हैं, इसलिए पौध रोग सुरक्षा का विशेष महत्त्व है. अतः इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए यदि गेहूं में लगने वाले कीटों को एक सीमा तक नियंत्रित कर दिया जाए, तो गेहूं की उत्पादकता को बढ़ाते हुए गेहूं के उत्पादन में काफी सुधार लाया जा सकता है.
गेहूं के प्रमुख कीटों का नियंत्रण
दीमक
दीमक असिंचित एवं हलकी भूमि का एक प्रमुख हानिकार कीट है. इस का प्रकोप फसल की सभी अवस्थाओं में पाया जाता है. दीमक जमीन में सुरंग बना कर रहती है और पौधों को जड़ों से खाती है.
यह हलके भूरे रंग की होती है और पौधों की जड़ों को काट कर नुकसान कर देती है. इस के प्रकोपित पौधे सूख जाते हैं और आसानी से निकल जाते हैं. इस का प्रकोप टुकड़ों में होता है, जिसे आसानी से पहचाना जाता है.
नियंत्रण
• 1 किलोग्राम बिवेरिया और 1 किलोग्राम मेटारिजियम को लगभग 25 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद मे अच्छी तरह मिला कर छाया में 10 दिन के लिए छोड़ कर बिखेर दें.
• प्रकोप अधिक होने पर क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी की 3-4 लिटर मात्रा को 50 किलोग्राम बीज को बालू रेत में मिला कर प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें.
• बीज को बोआई से पूर्व इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस 0.1 फीसदी क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी, 0.9 ग्राम प्रति किलोग्राम, थायोमेंक्जाम 70 डब्लूएस 0.7 ग्राम प्रति किलोग्राम, फिप्रोनिल 5 एफएस 3 ग्राम प्रति किलोग्राम से उपचारित कर लेना चाहिए.
माहू
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मई माह में खेती के खास काम
गरमी के इस खरीफ महीने मई में गेहूं की कटाई कर भंडारण के लिए उसे धूप में सुखा लें. उस में नमी की मात्रा 8-10 फीसदी रहे, तब इस का भंडारण करें. भंडारण से पहले भंडारगृह को कीटनाशी दवा से साफ कर लें.
आम की अनेक व्यावसायिक किस्में
अपने ही देश में तकरीबन आम की 1,000 किस्में ऐसी हैं, जिन का व्यावसायिक तौर पर उत्पादन किया जा सकता है, लेकिन इस में से बहुत कम ऐसी किस्में हैं, जिन का उत्पादन व्यावसायिक निर्यात के नजरिए से किया जाता है.
आम की बौनी, रंगीन और व्यावसायिक किस्में
हमारे देश में उगाए जाने वाले फलों में आम ही एक ऐसा फल है, जो अपने अलगअलग स्वाद, सुगंध और रंगों के लिए जाना जाता है. आम में पाया जाने वाला पोषक गुण भी इसे विशेष बनाता है, इसीलिए इसे 'फलों के राजा' का दर्जा भी प्राप्त है. आम ही एकलौता ऐसा फल है, जिस की बागबानी दुनिया के लगभग सभी देशों में की जाती है.
जलवायु परिवर्तन के दौर में काला नमक धान की खेती
काला नमक धान काली भूसी और तेज खुशबू वाली धान की एक पारंपरिक किस्म है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई वाले इलाकों के 11 जिलों और नेपाल में उगाई जाने वाली यह पारंपरिक किस्म वर्तमान में मौसम के उतारचढ़ाव और प्राकृतिक आपदा आदि के कारण कम उपज का कारण बनती है.
पैडी प्लांटर धान रोपाई यंत्र
हाथ से धान की रोपाई करने का काम बहुत थकाने वाला होता है. धान की रोपाई में कई घंटों तक झुक कर रोपाई करनी होती है, जिस से काफी परेशानी होती है और समय भी बहुत लगता है. अब बहुत से किसान धान की रोपाई हाथ के बजाय मशीनों से कर रहे हैं.
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खेत जुताई यंत्र रोटावेटर
बहुत से दूसरे यंत्रों की तरह रोटावेटर खेती में इस्तेमाल होने वाला एक ऐसा यंत्र है, जिसे ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर काम किया जाता है. इस का खासकर इस्तेमाल खेत की जुताई के लिए किया जाता है.
ड्रम सीडर यंत्र करे धान की सीधी बोआई
धान की फसल के लिए कई विधियों का प्रयोग किया जाता है. इस में नर्सरी से धान के खेत में सीधी रोपाई, एसआरआई विधि, खेत में छिटकवां विधि से धान की बोआई व ड्रम सीडर से धान की सीधी बोआई आदि.
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27 मार्च, 2024 को कृषि अनुसंधान केंद्र, बोरवट फार्म बांसवाड़ा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत एकदिवसीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन झेर्पारा (करजी) गांव में किया गया.