उड़द की फसल का प्रयोग पशु आहार हरी खाद और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. उड़द फसल की जड़ों से 30-35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन स्थापित होती है.
भूमि का चयन
उड़द फसल के लिए अच्छी जल निकास वाली मटासी दोमट या डोरसा भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है. पहाड़ी क्षेत्रों में उड़द की खेती बलुई डोरसा व मैदानी क्षेत्रों में मटासी भूमि का उपयोग किया जाता है.
भूमि की तैयारी
इस फसल का अच्छा उत्पादन लेने के लिए 2-3 बार खेत की हलकी जुताई कर घासफूस और कचरा साफ करना चाहिए. दीमक के बचाव के लिए क्लोरोपायरीफास 1.5 फीसदी चूर्ण 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिलाना चाहिए. अंतिम जुताई के बाद पाटा चला कर खेत को समतल कर लेना चाहिए.
बीज दर
उड़द को छिटकवां विधि से बोने के लिए 20-25 किलोग्राम / हेक्टेयर व कतार विधि से बोने के लिए 15-20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है. मिश्रित फसल के लिए 5-7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है.
उड़द की उन्नत किस्में
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