बेटी की मां होना है सुखद
आलिया भट्ट
आज मैं खुद एक बेटी राहा की मां बन चुकी हूं और यह महसूस कर रही हूं कि एक बेटी की मां होना कितना अनोखा- कितना सुखद, अलग अनुभव है। साथ में बेटी की मां होना बड़ी जिम्मेदारी का अहसास भी दिलाता है। यह सच है कि हर दूसरा शख्स आज स्त्री और पुरुष समानता की बात करता है, लेकिन क्या यह वास्तविकता नहीं कि एक मां को अपनी बेटी की सुरक्षा का खास तौर पर ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। स्त्री-पुरुष दोनों को एक समान मैं भी मानती हूं, लेकिन लड़के जिस तरह आजाद पंछी बन कर कहीं भी, कभी भी घूम सकते हैं, क्या लड़कियों को यह आजादी है? आजादी तो है,
लेकिन उनकी सेफ्टी बहुत मायने रखती है। यह कैसे नजरअंदाज कोई करे? लड़कियों की सुरक्षा के लिए माता-पिता को ज्यादा सतर्क होना पड़ता है।
मेरे डैड की 4 संतान हैं। सबसे बड़ी पूजा, फिर राहुल, मैं और शाहीन। पूजा और मैं एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में हैं, इसलिए मुझ पर और पूजा पर हमेशा से फोकस ज्यादा रहा। मेरे डैड और मेरी मॉम दोनों स्वभाव से उत्तर-दक्षिण हैं, बावजूद उनमें एक अच्छी अंडरस्टैंडिंग मैंने महसूस की है। मैं भी सोचती हूं कि अगर रणबीर कपूर) और मेरे स्वभाव में फर्क हुआ, तो एक-दूसरे की बुराइयों के बजाय अच्छाइयों पर ध्यान देना होगा, ताकि हमारे बीच मतभेद ना हो। वैवाहिक रिश्ते में एक-दूसरे को आदर देने की यह आदत मुझे बहुत कुछ सिखाती है।
मेरी मां कश्मीरी, तो मेरे नाना जी जर्मन थे। मेरे डैड गुजराती, उनके डैड यानी मेरे दादा जी गुजराती थे, तो दादी मुस्लिम थीं। एक मिक्स्ड कल्चर में मैं पली-बढ़ी। मेरे परिवार में सभी सेलेब्रिटी हैं, लेकिन मेरी परवरिश सामान्य मिडिल क्लास के बच्चों की तरह हो, यही मम्मी चाहती थीं। मुझे फिल्मों के माहौल से दूर रखा जाए, यह उनकी इच्छा थी। मम्मी कहती हैं, आलिया ने बचपन में कभी भी कोई जिद नहीं की, बहुत प्यारी बच्ची थी। ऐसा जब मम्मी कहती थीं, मुझे खुद पर ताज्जुब होता था कि कया मैं वाकई इतनी गुड गर्ल थी?
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