हमारे यहां अभी भी शादी में लड़का-लड़की के अलावा परिवारों की भूमिका बहुत अहम मानी जाती है। इसीलिए शादी को दो परिवारों का संगम भी जाता है। हां, पिछले कुछ समय से इतना फर्क जरूर आया है कि शादी तय होने के तरीके बदल गए हैं। अरेंज मैरिज में नाई और बिचौलियों की जगह मैट्रिमोनियल साइट्स ने ले ली है। और लव मैरिज हो, तो फिर इनका भी रोल खत्म हो जाता है। मैट्रिमोनियल साइट्स से भी लड़का-लड़की कई बार खुद ही अपने लिए मैच ढूंढ़ कर घरवालों को बता देते हैं, क्योंकि अब युवा अपनी चॉइस और लाइफ पार्टनर को ले कर काफी सजग भी हो गए हैं। आजकल के माहौल में परिवारों के आपस में मिलने की बारी तब आती है, जब लड़का और लड़की बातचीत और मीटिंग करके शादी करने का फैसला कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में जब शादी की बात पक्की करने के लिए जब दोनों परिवार आपस में पहली बार मिलें, तो इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि लड़कालड़की एक-दूसरे को पसंद कर चुके हैं, इसलिए आपसी बातचीत का रुख सकारात्मक होना चाहिए। आपकी बातों से दूसरे परिवार को यह नहीं लगना चाहिए कि आप बच्चों की खुशी की खातिर किसी तरह का समझौता कर रहे हैं।
पूछें ये 7 सवाल
• लड़का या लड़की क्या करते हैं, उन्होंने कितनी और कहां से पढ़ाई की है, इस बारे में माता-पिता से विस्तार से जानकारी लें।
• परिवार मूल रूप से कहां का रहनेवाला है, उनके कितने रिश्तेदार और कहां-कहां पर रहते हैं, यह भी पूछें। हो सकता है कि कोई कॉमन जान-पहचान निकल आए।
• शादी को ले कर उनकी क्या अपेक्षाएं हैं, वे किस तरह की शादी करना चाहते हैं, इस बारे में पहली मीटिंग में ही बात साफ होनी चाहिए, ताकि बाद में कोई विवाद ना हो।
• दहेज लेना देना हालांकि ठीक नहीं है, पर भारतीय शादियों में कुछ रस्म व परंपराएं होती हैं, जो जरूरी मानी जाती हैं। अगर आप इन्हें निभाना चाहते हैं, तो इस बारे में पहले से बातचीत कर लें।
• शादी में दोनों पक्षों की तरफ से कितने गेस्ट आएंगे, यह बात लड़कीवालों को जरूर पूछनी चाहिए, क्योंकि बारात का स्वागत उन्हें ही करना है। यह बात पहले से साफ हो, तो बाद में किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सकता है।
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