आशीष की मुलाकात प्रेमिका पूजा से हुई तो वह बहुत खुश था. आशीष ने उसे बुलाया था. वह उस की आंखों में आंखें डाल कर बोला, "मैं तुम्हें हमेशा के लिए हासिल करना चाहता हूं पूजा."
पूजा ने उस की तरफ ध्यान से देखते हुए पूछा, "तुम जानते हो, यह संभव नहीं है."
"क्यों?" आशीष ने पूछा तो पूजा ने जवाब दिया, "तुम पहले से शादीशुदा हो और मैं भी ऐसा नहीं चाहती."
"इंसान चाहे तो क्या नहीं हो सकता. मैं ने तुम से प्यार किया है तो कोई न कोई रास्ता भी जरूर निकलेगा, ऐसा मेरा दिल कहता है."
पूजा उसे समझाने का प्रयास करते हुए बोली, "जिद मत करो आशीष, कभी सोचा है कि यह समाज क्या कहेगा?"
"मुझे इस की परवाह नहीं है, क्योंकि अपनी खुशी की परवाह है. होगा वही जो मैं चाहूंगा." आशीष ने आत्मविश्वास से कहा और चला गया. पूजा उसे देखते रह गई.
दरअसल, आशीष सांगवान उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के जानी थाना क्षेत्र के किठौली गांव के रहने वाले धनपाल सिंह का बेटा था. आशीष अपने परिवार का इकलौता बेटा था.
आशीष का विवाह करीब 11 साल पहले बागपत जिले के जोहड़ी गांव के इकबाल सिंह की बेटी ज्योति से हुआ था. आशीष का परिवार साधनसंपन्न था. ज्योति सुंदर और घर को संभालने वाली युवती थी. अपने व्यवहार और काम से उस ने सब का दिल जीत लिया.
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