भूमि व खेत की तैयारी
अधिक पैदावार लेने के लिए जुताई गहरी की जाये। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। खेत की अच्छी तैयारी के लिए दो बार हैरो से भी जुताई करें तथा प्रत्येक जुताई बाद खेत में सुहागा लगायें।
बिजाई का समय
कपास की जुताई 15 अप्रैल से जून के पहले सप्ताह तक की जा सकती हैं परंतु मई का पूरा महीना कपास की बिजाई के लिए सर्वोत्तम हैं। महेंद्रगढ़, भिवानी तथा डबवाली (सिरसा) जिलों में, जहां मिट्टी रेतीली है और तेज हवा से रेतीले टिब्बे बनने की समस्या है, वहां पर कपास की बिजाई अप्रैल के पहले पखवाड़े में करें ताकि छोटी पौध जलने व रेत में दबने से बच सके। वहीं बी. टी. कपास की बिजाई का सर्वोत्तम समय अप्रैल के तीसरे सप्ताह से लेकर मई के अंत तक है।
बीज उपचार
• 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन, 1 ग्राम स्कसीनिक तेजाब, 10 लीटर पानी से 5-6 कि. ग्रा. रोएंदार अथवा 6-8 कि. ग्रा. बगैर रोएंदार कपास का बीज उपचार करें।
• सूत्रकृमि से प्रकोपित खेतों में कपास की बिजाई से पहले 5-6 कि. ग्रा. बीज को 50 मि. ली. बायोटीका (जी डी 35-47) से उपचारित करें।
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मिट्टी के पीएच में सुधार और फसल पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों ने विकसित किए नए उत्पाद
भारत में लगभग 67.3 लाख हैक्टेयर भूमि लवणीयता से प्रभावित है। लवणीय मिट्टी कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, जिससे अक्सर फसल उत्पादन गतिविधियां आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं हो पाती हैं।
पूर्वीजर हरियाणा में धान की सीधी बिजाई एक प्रयत्न तो बनता है
हरियाणा प्रदेश के उत्तर पूर्वी भाग (अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत आदि जिले) में धान की फसल का अपना ही एक महत्व है। यहां के धान की उच्च गुणवत्ता और विक्रय के लिए बाजार के स्थायी तंत्र की उपस्थिति के कारण धान का स्थान ग्रहण करने के लिए वर्तमान में कोई दूसरी फसल विद्यमान नहीं है। किन्तु जिस परम्परागत विधि से धान की खेती यहां पर की जा रही है वह बहुत ही दीर्घकालिक नहीं प्रतीत हो रही है।
स्वैः मंडीकरण में पैकिंग एवं लेबलिंग का महत्व
\"मंडीकरण कृषि व्यापार का एक अहम पहलु है। उचित मंडीकरण द्वारा मंडी में उपभोक्ताओं की जरुरतों का पता लगाकर आवश्यक वस्तु/सेवा उपलब्ध करवाई जा सकती है। मंडीकरण गतिविधियों के कारण कृषि उद्यमी वस्तु की बेच संभावना में इजाफा कर सकते हैं और वस्तुओं के अच्छे मूल्य भी प्राप्त कर सकते हैं। मंडीकरण गतिविधियों में वस्तु की गुणवत्ता, पेशकारी, कीमत, बेच स्थान एवं प्रचार को शामिल किया जाता है।\"
सी. एस. टी. एल. से बीज सैंपल पुन: परिक्षण
बीज खेती किसानों की जरूरत है, बीज उत्तम ही नहीं, सर्वोत्तम होना चाहिए। बीज की पावनता, पवित्रता, शुद्धता बनी रहे। इसके लिए भारत सरकार ने बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968 तथा बीज नियंत्रण आदेश-1983 लागू किए हैं।
मधुमक्खी पालन पर मौसम का असर और उसका निवारण
मधुमक्खी पालकों को बदलते हुए मौसम में मधुमक्खियों का पालन करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बदलते मौसम के कारण मधुमक्खियों की आबादी और उत्पादन शक्ति पर गहरा असर पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप मधुमक्खी पालकों को आर्थिक रुप से भी नुकसान होता है।
फास्फोरस का अधिक उपयोग नुकसानदायक...
फास्फोरस के अधिक कुशल उपयोग से इस महत्वपूर्ण उर्वरक का सीमित भंडार 500 से अधिक वर्षों तक चल सकता है। बढ़ती आबादी की भोजन की मांग को पूरा करने के लिए दुनिया भर में फॉस्फोरस समेत कई उर्वरकों की मदद से फसलों के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजी केंचुओं की दो नई प्रजातियां
ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूओ) और केरल के महात्मा गांधी विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं ने भारत में केंचुओं की दो नई प्रजातियों की पहचान की है। केंचुओं की यह नई प्रजातियां ओडिशा के कोरापुट में खोजी गई हैं।
ड्रैगन फ्रूट का जुम तैयार करने के लिए विकसित की नई तकनीक
बढ़ती मांग को पूरा करने और टिकाऊ बागवानी प्रथाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आईसीएआर-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर) के शोधकर्ताओं ने रेडी-टू-सर्व ड्रैगन फ्रूट जूस तैयार करने के लिए अभिनव तकनीक विकसित की है।
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