महामारी ने इतने नहीं मारे तो किसने मारे?
Rishi Prasad Hindi|July 2020
विवेक-वैराग्य प्रखर होने पर निर्भयता तथा साहस स्वभाव बन जाता है।
महामारी ने इतने नहीं मारे तो किसने मारे?

Esta historia es de la edición July 2020 de Rishi Prasad Hindi.

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पुण्य-संचय व भगवत्प्रीति के लिए सर्वोत्तम मास
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वैशाख मास: २३ अप्रैल से २३ मई

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April 2024
गर्मी या पित्त संबंधी समस्याओं का बेजोड़ उपाय : सफेद पैठा
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सफेद पेठा (भूरा कुम्हड़ा) आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत लाभदायी फल, सब्जी तथा अनेकों रोगों में उपयोगी औषधि है। इसका पका फल सर्व दोषों को हरनेवाला है।

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April 2024
... और मुगल साम्राज्य का अंत हो गया
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... और मुगल साम्राज्य का अंत हो गया

जो दूसरों को परेशान करके राज्य करते हैं अथवा जो दूसरों को परेशान करके मजा लेते हैं उनके लिए कुदरत की क्या-क्या व्यवस्था है ! मुगल शासन था। दो राजकुमार दिल्ली से बाहर जंगल में आखेट (शिकार) करने गये।

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April 2024
कैसे नष्ट हो गया था वल्लभीपुर?
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मैंने सुनी है एक कथा कि भावनगर के नजदीक वल्लभीपुर नाम का एक नगर था । एक संत कहीं से घूमते-घामते वहाँ पहुँचे। वहाँ एकांत में उन्होंने अपने ध्यान-भजन की जगह चुनी। उनका शिष्य भिक्षा लेकर आता था।

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April 2024
जब हनुमानजी पर छलक पड़े श्रीरामजी
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जब हनुमानजी पर छलक पड़े श्रीरामजी

२३ अप्रैल (चैत्र मास की पूर्णिमा) को श्री हनुमानजी का प्राकट्य दिवस है। हनुमानजी अद्भुत शक्ति, निष्ठा और भक्ति के प्रतीक हैं। यह दिवस न केवल भक्ति की महिमा को चिह्नित करता है बल्कि आध्यात्मिक जागृति और आत्मसाक्षात्कार के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को भी सामने लाता है।

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April 2024
मोक्षप्राप्ति का साक्षात् साधन
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मोक्षप्राप्ति का साक्षात् साधन

जिस काल में, जिस देश में और जिस रूप में 'अहं - अहं' का स्फुरण हो रहा है यदि उसी काल, उसी देश और उसी रूप में वही 'अहं' तत्त्वतः परमात्मा न हो तो परमात्मा नाम की किसी वस्तु की सिद्धि, स्थिति या उपलब्धि नहीं हो सकती क्योंकि वह नश्वर, अपूर्ण तथा अप्राप्त होगी।

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April 2024
वास्तविक जीवन
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वास्तविक जीवन

रविदासजी को उनके पिता ने ७ जोड़ी जूते बनाकर दिये। २ रुपये जोड़ी बेचने थे। उन्होंने पिता को १४ रुपये के बदले १२ रुपये दिये।

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April 2024
अपने जन्म-कर्म को दिव्य कैसे बनायें?
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अपने जन्म-कर्म को दिव्य कैसे बनायें?

२९ अप्रैल को पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस है । आप सभीको इस दिन की खूब - खूब बधाई ! इस पावन पर्व पर जानते हैं जन्म-कर्म को दिव्य बनाने का रहस्य पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:

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April 2024
संत अपमान से उजड़ा गाँव, जान-माल की हुई भारी तबाही
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संत अपमान से उजड़ा गाँव, जान-माल की हुई भारी तबाही

(पूज्य बापूजी के सत्संग से)

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वे ही वास्तव में महान हो जाते हैं!
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'मैं कुछ बनूँ...' या 'हम कुछ बनें' यह ईश्वर से अलग अपना अस्तित्व बनाने की, ईश्वर से अलग होकर अपनी कोई विशेषता प्रकट करने की जो कोशिश है यही व्यक्ति का व्यक्तिगत दोष है और समाज का सामाजिक दोष है | बहुत सूक्ष्म बात है।

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