रितिका का जीवन 17 वर्षों से घड़ी की सूइयों से बंधा हुआ है. सुबह 5.30 बजे से रात 11.30 बजे तक वह मशीन की तरह लगी रहती है. दफ्तर के काम के साथसाथ घर की जिम्मेदारी भी वह बखूबी निभाती है. रोज डायरी पर दिन के काम लिखना और फिर रात में यह चैक करना कि कितने काम वह पूरे कर पाई है और कितने नहीं. सोने से पहले फिर से वह एक लंबी काम की लिस्ट बना कर सो जाती है.
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सत्तापरस्त एजेंडे वाली फिल्में क्या गुल खिलाएंगी
हाल के कुछ सालों में भारतीय सिनेमा तेजी से बदला है. कई फिल्में सरकारपरस्त और भगवा एजेंडे वाली बनी हैं. सरकारी व भगवा एजेंडे वाली फिल्मों की लंबी कतार आगे भी देखने को मिलेगी. पर इन का भविष्य क्या है?
बीमारियों को न्योता देता मोटापा
मोटापा भारत समेत पूरी दुनिया की समस्या बनता जा रहा है. हालांकि यह समस्या ऐसी है जिसे वक्त रहते नियंत्रित किया जा सकता है, परंतु उस के लिए सही आकलन करना जरूरी है. जानिए कि कब मोटापे का अलार्म बजने लगता है?
महिलाएं हक के लिए करें नौकरी
महिलाओं व पुरुषों के बीच लैंगिक असमानता आज भी व्याप्त है. देखा गया है कि जो युवती आर्थिक रूप से मजबूत व आत्मनिर्भर होती है वह अपने निर्णय लेने में ज्यादा सक्षम होती है. लैंगिक असमानता को मिटाने के लिए युवतियों का आर्थिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है.
महिलाओं को कमजोर बनातीं धार्मिक कलश यात्राएं
8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर देशभर में कई छोटेबड़े आयोजन हुए थे. उन समारोहों में अपने अपने क्षेत्रों की महिलाओं को सफल सम्मानित किया गया था और जम कर हुई भाषणबाजी में महिलाओं को देवी साबित करने का रिवाज भी कायम रहा था. वक्ताओं ने गागा कर बताया था कि आज महिलाएं किसी क्षेत्र में उन्नीस नहीं हैं. तमाम भाषणों का सार कुछ यों निकलता है.
मजबूत हो रहे हैं औरतों के हक बढ़ रहे हैं तलाक के मामले
जैसेजैसे औरतें शिक्षित हुईं, नौकरी में आगे बढ़ीं, उन्हें अपने खिलाफ होने वाली गलत बातों पर आवाज उठाना भी आने लगा. आर्थिक मजबूती इंसान में हिम्मत लाती है. यही औरतों के साथ भी हुआ. अब पति की मारपीट व गालियां जब बरदाश्त नहीं होतीं तो वे तलाक का रास्ता अपनाने से गुरेज नहीं करतीं.
एंटीएस्टैब्लिशमेंट प्रोफेसर जी एन साईबाबा आखिर किस बात की सजा मिली
प्रोफैसर साईबाबा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच फुटबौल सा बन चुके हैं जो 8 वर्षों से किक ही खा रहे हैं. लेकिन उन की दास्तां दुखद रूप से दिलचस्प है जिस का सार यह है कि उन का मनोबल दक्षिणपंथियों से टूट नहीं रहा.
सरकारी कामों में घुसता धार्मिक पाखंड
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक आजकल न्यायपालिका के कार्यक्रमों में पूजापाठ पर बात कहने का कोई मौका ही ढूंढ़ रहे थे क्योंकि उन्हें लगता था कि अति होने लगी है जिस की कोई भी बुद्धिमान, तार्किक व व्यावहारिक आदमी अब और ज्यादा अनदेखी नहीं कर सकता.
हिंदू सवर्णों को बहकाने की नीयत से सीएए
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने ध्रुवीकरण का अब एक और दांव चल दिया है. सोचसमझ कर तारीख भी रमजान की चुनी. सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 से केवल कुछ गैरमुसलिमों को फायदा होगा पर आपसी मनमुटाव बढ़ेगा.
अपनी ताकत को पहचाने ट्रायल कोर्ट
ट्रायल कोर्ट के बाद बड़ी संख्या में मुकदमे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जा रहे हैं. जिन की क्षमता है वे तो राष्ट्रपति तक भी पहुंच रहे हैं. एक मुकदमा सालोंसाल लटका रहता है. न्याय की आस में दोनों पक्ष अपना सबकुछ गंवाते हैं. संविधान ने ट्रायल कोर्ट को सब से अधिक ताकत दी है. अगर ट्रायल कोर्ट मजबूत हो, मुकदमों में जल्द फैसला हो तो लोगों का न्याय पर भरोसा बढ़ेगा और अपीलें कम होंगी.
इलैक्टोरल बौंड चुनावी दानपेटी
भारतीय जनता पार्टी की सरकार इलैक्टोरल बौंड स्कीम यह कह कर लाई थी कि इस से कालाधन समाप्त होगा, मगर यह स्कीम तो भ्रष्टाचार को कानून का जामा पहना कर उसे वैध बनाने की करतूत साबित हुई. इस के तहत तमाम कंपनियों से करोड़ों रुपयों की धनउगाही की गई और बदले में उन को बड़ेबड़े धंधे दिए गए. सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती के बाद इस भ्रष्ट स्कीम के रहस्य खुल चुके हैं.