Panchjanya - June 19, 2022Add to Favorites

Panchjanya - June 19, 2022Add to Favorites

Obtén acceso ilimitado con Magzter ORO

Lea Panchjanya junto con 8,500 y otras revistas y periódicos con solo una suscripción   Ver catálogo

1 mes $9.99

1 año$99.99 $49.99

$4/mes

Guardar 50% Hurry, Offer Ends in 3 Days
(OR)

Suscríbete solo a Panchjanya

comprar esta edición $0.99

Subscription plans are currently unavailable for this magazine. If you are a Magzter GOLD user, you can read all the back issues with your subscription. If you are not a Magzter GOLD user, you can purchase the back issues and read them.

Regalar Panchjanya

En este asunto

#नेशनल हेराल्ड मामला
ठसक गई,कसक बढ़ी
कांग्रेस का शीर्ष परिवार जांच एजेंसियो की पूछताछ की आहट से दिक्कत में. पार्टी का राज जाने के बाद राज खूलने का सिलसिला जारी. दो हजार करोड़ के गोलमाल में प्रवर्तन निदेशालय ने हवाला और फर्जी कंपनियों से लेकर आंकड़ों में हेरफेर और नियम-कानून को ताक पर रखे जाने का खेल किया उजागर

Panchjanya Magazine Description:

EditorBharat Prakashan (Delhi) Limited

CategoríaPolitics

IdiomaHindi

FrecuenciaWeekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

  • cancel anytimeCancela en cualquier momento [ Mis compromisos ]
  • digital onlySolo digital
MAGZTER EN LA PRENSA:Ver todo