सितम्बर, 1893 स्थान शिकागो कला संस्थान, अवसर विश्व धर्म सम्मेलन 7000 व्यक्तियों की उपस्थिति में जब हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहे स्वामी विवेकानन्द ने अपना व्याख्यान प्रारम्भ किया, तो सभी उनकी वाणी से जैसे मन्त्रमुग्ध हो गए और हिन्दूधर्म तथा भारतीय संस्कृति की उनकी अभिनव व्याख्या से प्रभावित बिना नहीं रह सके।
विवेकानन्द जी का जन्म 12 जनवरी, 1863 को सूर्योदय से कुछ मिनट पूर्व हुआ था। यह दिन मकर संक्रान्ति उत्सव का था। ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे भगवान् सूर्य अब दक्षिण अयन को त्यागकर उत्तर अयन में प्रवेश कर रहे हैं और यह नवजात बालक उनके आगमन की सूचना दे रहा हो। उनके पिता विश्वनाथ दत्त के लिए यह दिन बहुत ही महत्त्वपूर्ण था, क्योंकि उनके घर में मकर संक्रान्ति की प्रत्यूष काल में बालक का जन्म ऐसे था, जैसे भगवान् सूर्य ने ही आकर उन्हें उपहार प्रदान किया हो । विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट में अधिवक्ता थे। माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक महिला थीं। इनके इष्ट भगवान् शिव थे। पिता ने विवेकानन्द जी का नाम 'नरेन्द्रनाथ दत्त' रखा। बालक नरेन्द्र पर अपने माता एवं पिता दोनों का ही प्रभाव पड़ा था। नरेन्द्र बचपन से ही पढ़ने-लिखने में बहुत होशियार थे। उन्हें दर्शन, इतिहास, सामाजिक विज्ञान तथा साहित्य में छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। उनकी बचपन से ही रुचि उपनिषद्, भगवद्गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों में थी। साथ ही, उन्हें संगीत की भी अच्छी शिक्षा-दीक्षा प्राप्त हुई। शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही वे अपने शरीर का भी पूरा ध्यान रखते थे। नित्य व्यायाम एवं खेलकूद के जरिए अपने शरीर को बलिष्ठ रखना भी उनका एक प्रकार से शौक ही था।
Diese Geschichte stammt aus der January 2024-Ausgabe von Jyotish Sagar.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der January 2024-Ausgabe von Jyotish Sagar.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
घर की सीढ़ियों की दशा और दिशा आदि का विचार
दक्षिण-पश्चिम अथवा नैर्ऋत्य कोण सीढ़ियों के लिए शुभ माना जाता है, वहीं उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सीढ़ियाँ निर्मित नहीं करनी चाहिए।
भक्ति, वात्सल्य एवं शृंगार के परिचायक महाकवि सूरदास
पुष्टिमार्गीय भक्ति के दार्शनिक स्वरूप को सूरदास जी ने भली-भाँति समझा था तथा समझकर काव्य की भाव भूमि पर उसे प्रेषणीय बनाने के लिए वात्सल्य रस का अवलम्बन लिया।
क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर!
सावरकर जेल से छूटकर जब वापस भारत आए, तो देश की आजादी का आन्दोलन जोर पकड़ रहा था। अब उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद का समर्थन किया। जब देश के विभाजन का प्रस्ताव आया, तो सावरकर ने इसका विरोध किया पर तत्कालीन परिस्थितियों के कारण अन्ततोगत्वा देश का विभाजन हुआ।
पीपल को क्यों नहीं काटना चाहिए?
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने बताया है कि, पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी कारण पीपल की पूजा करने पर भगवान् श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दःखों को दूर करते हैं।
मृत्यु से परे की सत्यता!
उसने मेरे पैरों पर मकड़े से चलाए और मेरे दोनों पैर स्थिर कर दिए। जब मैंने क्षमा माँगी, तो वह मेरे सामने आ गया।
कैसा रहेगा भारत के लिए वृषभ का गुरु?
संसद एवं विधानसभाओं पर कार्यपालिका की प्रधानता तो रहेगी, परन्तु विपक्ष की बली स्थिति और उसकी सक्रियता के चलते सत्ता पक्ष पर अंकुश भी रहेगा, जिससे संसदीय लोकतन्त्र की शक्ति का अहसास भी होगा।
आम चुनाव, 2024 के सन्दर्भ में नरेन्द्र मोदी और राहुल के सितारे!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आम चुनाव, 2024 की दृष्टि से वर्तमान समय बहुत प्रतिकूल नहीं है। हालाँकि राहु की अन्तर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा और बाद में आ रही चन्द्रमा की प्रत्यन्तर्दशा नैसर्गिक रूप से अच्छी नहीं मानी जाती।