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हमारे बारे में पाकिस्तान का जुनून पुराना है

Dainik Bhaskar Tikamgarh

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June 26, 2025

भारत को लेकर पाकिस्तान का जुनून बंटवारे के बाद ही शुरू हो गया था। 11 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान की संविधान सभा में अपने अध्यक्षीय भाषण में जिन्ना ने कहा था : 'विभाजन तो होना ही था। एकीकृत भारत का कोई भी विचार कभी कारगर नहीं हो सकता था, और मेरे ख्याल से वह हमें भयानक विनाश की ओर ही लेकर जाता।'

- मिन्हाज मर्चेंट

15 अप्रैल, 2025 को, यानी पहलगाम आतंकी हमले से महज सात दिन पहले, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने भी इस्लामाबाद में प्रवासी पाकिस्तानियों के वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए कहा था : ''हमारे पूर्वजों ने सोचा था कि हम जीवन के हर पहलू में हिंदुओं से अलग हैं। हमारा धर्म अलग है। हमारे रीति-रिवाज अलग हैं। हमारी परंपराएं अलग हैं। हमारे विचार अलग हैं। हमारी महत्वाकांक्षाएं अलग हैं। यही दो कौम के सिद्धांत की बुनियाद थी, कि हम दो अलग राष्ट्र हैं। कश्मीर हमारे गले की नस है। हम इसे नहीं भूलेंगे।'

इन दोनों भाषणों के बीच में 78 साल का फासला है, लेकिन इन सालों में अगर कोई एक चीज नहीं बदली है, तो वो है भारत के प्रति पाकिस्तान के रवैये में निहित गहरी मनोविकृति। वास्तव में, पाकिस्तान ने अपनी पैदाइश के समय ही अपनी सम्प्रभुता पश्चिमी मुल्कों के सामने समर्पित कर दी थी। अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध के दौरान उसने खुद को साम्यवाद के खिलाफ एक क्षेत्रीय ढाल के रूप में स्थापित किया। बदले में उसे वित्तीय और सैन्य सहायता मिली और गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा तक दे दिया गया। इस्लामाबाद का केवल एक ही एजेंडा था : भारत के साथ बराबरी। उसे पता था कि उसकी अर्थव्यवस्था भारत की तुलना में बहुत छोटी है, लेकिन पाकिस्तानी फौज के जनरलों का हमेशा से मानना रहा कि सैन्य-मामलों में वे भारत के बराबर हैं।

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अगर लगातार बेचैनी महसूस कर रहे हैं, नींद पूरी नहीं हो रही और दिमाग में विचार दौड़ रहे हैं, तो यह सिर्फ तनाव नहीं हो सकता। यह एंग्जायटी (चिंता) भी हो सकती है।

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अगर लगातार बेचैनी महसूस कर रहे हैं, नींद पूरी नहीं हो रही और दिमाग में विचार दौड़ रहे हैं, तो यह सिर्फ तनाव नहीं हो सकता। यह एंग्जायटी (चिंता) भी हो सकती है। तनाव और एंग्जायटी के लक्षण कई बार एक जैसे लगते हैं, लेकिन दोनों की वजह और असर अलग होते हैं ...।' पुलित्जर विजेता पत्रकार व लेखिका लॉरेन हिंगिस कहती हैं, 'तनाव जीवन की स्थितियों से आता है जबकि चिंता विचारों से। तनाव अस्थायी हो सकता है, लेकिन चिंता नियंत्रण में न आए तो मानसिक सेहत बिगाड़ सकती है। इसलिए लक्षणों को सही तरह से समझना और उसी के अनुसार समाधान चुनना जरूरी है।' यह कैसे होगा, बता रहे हैं एक्सपर्ट...

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न्यूयॉर्क | अगर लगातार बेचैनी महसूस कर रहे हैं, नींद पूरी नहीं हो रही और दिमाग में विचार दौड़ रहे हैं, तो यह सिर्फ तनाव नहीं हो सकता। यह एंग्जायटी (चिंता) भी हो सकती है। तनाव और एंग्जायटी के लक्षण कई बार एक जैसे लगते हैं, लेकिन दोनों की वजह और असर अलग होते हैं ... ।' पुलित्जर विजेता पत्रकार व लेखिका लॉरेन हिंगिस कहती हैं, 'तनाव जीवन की स्थितियों से आता है जबकि चिंता विचारों से। तनाव अस्थायी हो सकता है, लेकिन चिंता नियंत्रण में न आए तो मानसिक सेहत बिगाड़ सकती है। इसलिए लक्षणों को सही तरह से समझना और उसी के अनुसार समाधान चुनना जरूरी है।' यह कैसे होगा, बता रहे हैं एक्सपर्ट ...

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अगर लगातार बेचैनी महसूस कर रहे हैं, नींद पूरी नहीं हो रही और दिमाग में विचार दौड़ रहे हैं, तो यह सिर्फ तनाव नहीं हो सकता। यह एंग्जायटी (चिंता) भी हो सकती है। तनाव और एंग्जायटी के लक्षण कई बार एक जैसे लगते हैं, लेकिन दोनों की वजह और असर अलग होते हैं ...।'

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