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एआई पर्सनलाइजेशन अब हमारे डिजिटल अनुभवों को आकार दे रहा; यह 'डीप टेलरिंग' से गुपचुप हमारे विचार बदल रहा, मनोवैज्ञानिक खतरा बढ़ा
Dainik Bhaskar Tikamgarh
|June 25, 2025
लंदन | एआई अब केवल हमारे चेहरे पहचानने या चैट करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी मानसिकता को भी समझने और उसे प्रभावित करने की दिशा में आगे बढ़ चुका है।
यह प्रक्रिया 'डीप टेलरिंग' के नाम से जानी जाती है, जहां एआई पर्सनलाइजेशन के नाम पर न सिर्फ हमारी रुचियों बल्कि हमारे नैतिक मूल्यों, राजनीतिक रुझानों और जरूरतों के आधार पर हमसे संवाद करता है। हमारी राय को बिना हमारे ज्ञान के प्रभावित करना इसका उद्देश्य है। इस गुप्त दखल का सबसे गहरा असर ध्रुवीकरण में देखा जा रहा है, जहां एआई मॉडल एकतरफा विचारों के इको चैंबर्स बना रहे हैं, और समाज में संवाद की जगह टकराव पैदा कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पहले ही 'इको चैंबर्स' बना चुके, एआई खतरनाक बना रहा
Diese Geschichte stammt aus der June 25, 2025-Ausgabe von Dainik Bhaskar Tikamgarh.
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अगर लगातार बेचैनी महसूस कर रहे हैं, नींद पूरी नहीं हो रही और दिमाग में विचार दौड़ रहे हैं, तो यह सिर्फ तनाव नहीं हो सकता। यह एंग्जायटी (चिंता) भी हो सकती है। तनाव और एंग्जायटी के लक्षण कई बार एक जैसे लगते हैं, लेकिन दोनों की वजह और असर अलग होते हैं ...।' पुलित्जर विजेता पत्रकार व लेखिका लॉरेन हिंगिस कहती हैं, 'तनाव जीवन की स्थितियों से आता है जबकि चिंता विचारों से। तनाव अस्थायी हो सकता है, लेकिन चिंता नियंत्रण में न आए तो मानसिक सेहत बिगाड़ सकती है। इसलिए लक्षणों को सही तरह से समझना और उसी के अनुसार समाधान चुनना जरूरी है।' यह कैसे होगा, बता रहे हैं एक्सपर्ट...
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न्यूयॉर्क | अगर लगातार बेचैनी महसूस कर रहे हैं, नींद पूरी नहीं हो रही और दिमाग में विचार दौड़ रहे हैं, तो यह सिर्फ तनाव नहीं हो सकता। यह एंग्जायटी (चिंता) भी हो सकती है। तनाव और एंग्जायटी के लक्षण कई बार एक जैसे लगते हैं, लेकिन दोनों की वजह और असर अलग होते हैं ... ।' पुलित्जर विजेता पत्रकार व लेखिका लॉरेन हिंगिस कहती हैं, 'तनाव जीवन की स्थितियों से आता है जबकि चिंता विचारों से। तनाव अस्थायी हो सकता है, लेकिन चिंता नियंत्रण में न आए तो मानसिक सेहत बिगाड़ सकती है। इसलिए लक्षणों को सही तरह से समझना और उसी के अनुसार समाधान चुनना जरूरी है।' यह कैसे होगा, बता रहे हैं एक्सपर्ट ...
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