लंग्स को सुरक्षित रखने के उपाय
Sarita|November Second 2023
लंग्स शरीर के बेहद जरूरी अंगों में से होते हैं. श्वसन क्रिया लंग्स पर निर्भर करती है. लंग्स का खराब होना कई बीमारियों का वाहक बन सकता है. ऐसे में इस का सुरक्षित रहना अतिआवश्यक हो जाता है और तब जब बात दिनप्रतिदिन बढ़ते पौल्यूशन की हो.
नसीम अंसारी कोचर
लंग्स को सुरक्षित रखने के उपाय

फेफड़े हमारे शरीर में ऑक्सीजन का संचार करते हैं. ये खून को शुद्ध करते हैं और सांस को फिल्टर करते हैं. यदि किसी व्यक्ति के फेफड़े में वायरस, बैक्टीरिया या फंगस विकसित हो जाएं तो फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं. फेफड़े जिन छोटीछोटी थैलीनुमा संरचनाओं से मिल कर बने होते हैं उन में संक्रमण के चलते मवाद जमा होने लगता है. इस से सूजन होने लगती है और सांस लेने में दिक्कत होती है. इसे ही लंग इन्फैक्शन कहते हैं. इस की वजह से निमोनिया हो जाता है. जब यह संक्रमण बड़े क्षेत्र में फैल जाता है तो यह ब्रोंकाइटिस नामक बीमारी में बदल जाता है. फेफड़े की बीमारी पर शुरू में ही ध्यान दिए जाने की जरूरत होती है वरना यह बीमारी टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस भी बन सकती है.

फेफड़े की बीमारी आजकल बहुत तेजी से बढ़ रही है. प्रदूषण, धूम्रपान, नजला आदि के कारण फेफड़ों की बीमारी बहुत आम होती जा रही है. पहले सिर्फ हार्ट अटैक के बारे में सुनाई देता था लेकिन अब फेफड़ों के अटैक की खबर भी खूब सुनाई देने लगी है, जो लोगों की असमय मौत का दूसरा बड़ा कारण बन रहा है.

क्रोनिक औब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के मरीजों में फेफड़ों का अटैक पड़ने की संभावना बहुत अधिक होती है. सीओपीडी फेफड़ों की एक बीमारी है जो फेफड़ों में हवा के प्रवाह को रोकती है. इस बीमारी में फेफड़ों में सूजन आ जाती है. इस के परिणामस्वरूप व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, अतिरिक्त म्यूकस बनना, खांसी और अन्य समस्याएं होती हैं. करीब 20 वर्षों पहले तक सीओपीडी को विदेशी डाक्टर्स धूम्रपान से होने वाली बीमारी मानते थे लेकिन मौजूदा समय में यह बीमारी उन लोगों में भी देखी जा रही है जो धूम्रपान नहीं करते.

लकड़ी और कंडे की आग पर खाना बनाने वाली महिलाओं में यह बीमारी देखी गई है. वहीं कांच और पत्थर का काम करने वाले मजदूरों में, संगमरमर की घिसाई करने वाले कारीगरों में, कार मेकैनिक जो कार आदि की पेंटिंग का काम करते हैं, आदि सभी में फेफड़ों से जुड़ी क्रोनिक बीमारियां देखी जा रही हैं. यातायात पुलिस के वे कौंस्टेबल्स जो बड़े चौराहों पर दिनभर ट्रैफिक नियंत्रण का कार्य करते हैं, अकसर फेफड़े के रोग से ग्रस्त हो जाते हैं.

Diese Geschichte stammt aus der November Second 2023-Ausgabe von Sarita.

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