आम चुनाव 2024 न जाने क्या-क्या कराएगा। जिसका खटका था वही हुआ। हरियाणा में भाजपा और जजपा गठबंधन सरकार गिर गई। 11 मार्च को गुड़गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में मंच साझा करने वाली जननायक जनता पार्टी ने 12 मार्च की सुबह भाजपा से साढ़े चार साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया। मुख्यमंत्री पद पर मनोहर लाल खट्टर की जगह ओबीसी चेहरे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को बैठाया गया। इस तरह लोकसभा चुनाव के पहले पंजाबी बिरादरी के खट्टर को विदा करके गैर-जाट को तरजीह दी गई। सात निर्दलीय विधायकों के सहारे कुरुक्षेत्र से सांसद सैनी ने 12 मार्च को ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर को करनाल से संसदीय चुनाव लड़ाए जाने की खबर है।
खट्टर के करीबी सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने से खफा भाजपा के छह बार के विधायक अनिल विज विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके बाहर चले गए। विज के इस विरोध का विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए आए केंद्रीय पर्यवेक्षकों अर्जुन मुंडा और तरुण चुघ पर कोई असर नहीं हुआ।
Diese Geschichte stammt aus der April 01, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
ममता दीदी की दुखती रग
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हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
तीसरी बारी क्यों
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क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा