नैसर्गिक प्रतिभा के धनी राशिद खां ने नौ साल की उम्र में दिल्ली के सीरीफोर्ट सभागार में आइटीसी संगीत सम्मेलन में जब खयाल गायन की पहली प्रस्तुति दी, तो उन्होंने कलानुरागियों को न सिर्फ अचंभित किया बल्कि दिल भी जीता। उसके बाद वे दिनोदिन संगीत के ऊंचे पायदान पर चढ़ते चले गए।
उन्होंने दिग्गज कलाकारों और रसिकों से तो वाहवाही लूटी ही, आम श्रोताओं को भी अपने जादुई गायन से चमत्कृत करते रहे। उन्होंने अपनी दूरदर्शिता से सुरों में जो रंग भरा, वह बेजोड़ था। उनकी ऊर्जा भरी, खनकती आवाज में गजब का मधुर स्वर लगाव था। गायन में इसी करिश्मे ने उन्हें खयाल गायकी की ऊंचाई पर पहुंचा दिया। उनके रसपूर्ण गायन और गमकदार तानों में जो चमत्कार था उसे देखकर लगता था जैसे वर्षा के बूंदों की बौछार हो रही हो । तकरीबन पचास साल तक संगीत के छोटे आयोजनों से लेकर बड़े-बड़े समारोह में एक सी छाप छोड़ने वाले राशिद खां संगीत की दुनिया में बुलंदी से छाए रहे। पूरे देश में उनका गाना सुनने वाले श्रोताओं की भरमार थी। वे जहां भी गाने जाते वहां सुनने वालों का सैलाब उमड़ पड़ता था। खास बात यह है उनको जब भी सुना उनका गायन हमेशा नएपन ओर जोश से भरा पाया।
Diese Geschichte stammt aus der February 05, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
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टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
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हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
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क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा