यहां कभी चेदि (चंदेरी) पर राजा शिशुपाल का शासन था। चंदेरी पर गुप्त, प्रतिहार, मौर्य, मुगल, बुंदेला शासकों का शासन रहा। चंदेरी नगर दो विशाल परकोटे के बीच घिरा है। समय के साथ ये परकोटे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। लेकिन ये भग्नावशेष भी शिल्प कला के अनूठे नमूने की तरह लोगों को मोहित करते हैं। चंदेरी में वैसे तो अनेक तालाब हैं, लेकिन परमेश्वर तालाब का विशेष महत्व है। इसके घाट पर बना लक्ष्मण मंदिर अनोखी आभा प्रस्तुत करता है।
क्या देखें क्या छोड़े
चार मील से अधिक लंबी दीवार से घिरा चंदेरी का किला, ग्यारहवीं शताब्दी में कीर्ति पाल ने बनवाया था। परकोटे के अंदर बुंदेलखंड स्थापत्य के नौखड़ा महल और हवा महल दर्शनीय हैं। स्वयंभू जोगेश्वरी देवी मंदिर बहुत प्राचीन है और यह पर्वत की एक खुली गुफा में स्थित है। सिद्धपीठ होने के कारण यहां भक्त आते रहते हैं। जनश्रुति है कि मां जोगेश्वरी ने यहां के राजा को स्वप्न में कहा था कि राजा उन्हें नौ दिन तक न देखे तो वे पूर्ण रूप में प्रकट हो जाएंगी। लेकिन राजा धैर्य नहीं रख पाया और तीसरे दिन ही द्वार खोल दिए। इस कारण देवी का सिर्फ शीर्ष भाग मिला, जो मंदिर में स्थापित है।
पुरातत्व का खजाना
Diese Geschichte stammt aus der December 25,2023-Ausgabe von Outlook Hindi.
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जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
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आजाद तवायफ तराना
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हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
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क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा