एक जमाने में भारतीय महिलाओं के लिए यह बात बेहद ही आम थी कि उनका पति बर्मा में काम करता है। यह इतनी आम बात थी कि पॉप कल्चर का हिस्सा बनते हुए अपने पति के रंगून (आधुनिक बर्मा) से लौटने का इंतजार करती और लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप निभा रही महिलाओं पर एक सुप्रसिद्ध गाना ही बन गया। गाने का नाम था- मेरे पिया गए रंगून। फिल्म का नाम था, पतंगा और साल था- 1949।
कामकाज के लिए पति का परिवार से दूर किसी दूसरे शहर में रहना और पत्नी का अकेले घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाना यानी लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप (एलडीआर) कोई आज का रिलेशनशिप ट्रेंड नहीं है। यह सालों से चला आ रहा है। फर्क बस इतना है कि अब एक-दूसरे से सैकड़ों मील दूर रहते हुए भी टेक्नोलॉजी की मदद से पल-पल संपर्क में रहा जा सकता है। अधिकांश लोग मानते हैं कि साथ रहना और साथ वक्त बिताना एक ही बात है। पर, ऐसा है नहीं। चौबीस घंटे साथ वक्त बिताने के बावजूद मन के तार जुड़े नहीं रह सकते, वहीं मीलों दूर रहकर भी एक-दूसरे से जुड़ा रहा जा सकता है। से पढ़ाई, नौकरी या अन्य कारणों से अलगअलग शहर में रहने का मतलब अपने रिश्ते को खत्म करना नहीं होता। दोनों पक्षों की ओर से थोड़ी कोशिश करने पर दूर-दूर रहकर भी रिश्ते में दोस्ती, प्यार, समझ और आपसी विश्वास को बरकरार रखा जा सकता है। इसके लिए क्या हैं जरूरी कदम, आइए जानें:
पारदर्शिता है जरूरी
Diese Geschichte stammt aus der January 21, 2023-Ausgabe von Anokhi.
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फूलों की बहार
गर्मी का मौसम आते ही सुकून की तलाश शुरू हो जाती है। फैशन के मामले में आपकी यह तलाश फ्लोरल प्रिंट वाले कपड़ों पर आकर खत्म हो सकती है। कैसे फ्लोरल प्रिंट को इस मौसम में बनाएं अपनी स्टाइल का हिस्सा, बता रही हैं स्वाति गौड़
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खीरा रखेगा भीतर से ठंडा
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पिछले कुछ सालों में पोषण की दुनिया में चिया सीड्स का बोलबाला बढ़ा है। क्या है यह बीज और कैसे इसे बनाएं अपने आहार का हिस्सा, बता रही हैं कुकरी एक्सपर्ट नीरा कुमार
गहरी नहीं होंगी ये लकीरें
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मुश्किलों से डरें क्यों?
हमारी दुनिया में हम से जुड़ी क्या खबरें हैं? हमारे लिए उपयोगी कौन-सी खबर है? किसने अपनी उपलब्धि से हमारा सिर गर्व से ऊंचा उठा दिया? ऐसी तमाम जानकारियां हर सप्ताह आपसे यहां साझा करेंगी, जयंती रंगनाथन
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दुनिभा भर में गर्भावस्था के दौरान 70 से 80 प्रतिशत महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस से जूझती हैं। क्यों होती है यह समस्या और कैसे करें इसका सामना, बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी