मां शक्ति स्वरूपा, देवी दुर्गा, सिंह वाहनी, शैलपुत्री... नौ दिन और मां के नौ स्वरूप। भक्ति व उत्सव का आगाज हो चुका है। महामारी के दौर के बाद पटरी पर लौटी जिंदगी में एक बार फिर हम पूरे उत्साह के साथ देवी का पर्व मना पा रहे हैं। तो क्यों न इस साल 2022 में हम मां से खुद के लिए सौभाग्य, खुशियां, स्वास्थ्य आदि मांगने के साथ ही उनके कुछ गुण अपने व्यक्तित्व में भी आत्मसात कर लें! क्यों न हम मां के दिखाए रास्ते पर चलने का प्रयास करें ताकि आने वाली जिंदगी सुगम होने के साथ ही साथ सफल भी बन सके! उनकी सीख पर चलकर अपनी जिंदगी का हर दिन उत्सव बना लें ताकि हम जिंदगी के उतार-चढ़ावों में भी सम, आत्मविश्वासी और अडिग बने रह सकें। क्यों न हम उनसे लाइफ मैनेजमेंट के गुर सीखें ताकि खुशियां, तरक्की, समानता, हर्ष, तसल्ली, भरोसा, समझदारी सरीखे तमाम सकारात्मक अहसास भी हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाएं। इस बाबत लाइफ मैनेजमेंट गुरु सोमिका चटर्जी कहती हैं, 'दुर्गा अपने आप में संपूर्ण हैं। वह हमें शांत रहना सिखाती हैं, तो गलत के लिए लड़ना भी। उनके भीतर नारी के सारे रंग हैं। बस चुनाव हमें करना है कि हम उनसे क्या सीखते हैं।' कुछ ऐसा ही मानना है। अपनी कलाओं से देवी की कथाओं को व्यक्त करने वाली कथक डांसर वंदना देब रॉय का भी। वह कहती हैं कि हम देवी के अलग-अलग स्वरूप का आवाह्न करते हैं। यदि हम उनका अनुसरण भी करें तो यकीनन हमारी जिंदगी और भी सुगम और मधुर हो जाएगी।
नौ स्वरूप और नौ सीखें
1. देवी का पहला स्वरूप है, शैलपुत्री। शैल यानी पर्वत। हिमालय की पुत्री पार्वती जो कि महान ऊंचाइयों को छूती हैं। देवी का यह स्वरूप आपको स्वयं की आंतरिक शक्ति को जागृत करने की प्रेरणा देता है। ऐसा करना आपके आत्मविश्वास में इजाफा कर जाएगा।
2. दूसरी देवी, देवी ब्रह्मचारणी। ब्रह्म मतलब तपस्या। इस रूप में देवी हम सभी को केंद्रित रहना सिखाती हैं। देवी का यह स्वरूप हमें शांति, एकाग्रता, अडिगता की सीख देता है। जीवन में कितने भी उतार-चढ़ाव क्यों न आएं, हमें एकाग्र होकर सिर्फ प्रयास पर केंद्रित होने की आवश्यकता है ताकि न तो हम व्यथित हों और न ही पथ भ्रष्ट।
Diese Geschichte stammt aus der October 01, 2022-Ausgabe von Anokhi.
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