ऐसे में अगर पशुपालक दुधारू पशुओं का पालन कर रहा है, तो उस के पोषण का विशेष खयाल रखना पड़ता है. इस के लिए पोषण तत्त्वों से भरपूर चारे के ऊपर अत्यधिक खर्च करना पड़ता है. कभीकभी पोषक चारे व आहार देने के बावजूद भी दुधारू पशुओं से अपेक्षित दुग्ध उत्पादन नहीं मिल पाता है, जिस की वजह से पशुपालकों को कभीकभी नुकसान भी उठाना पड़ता है.
इस नजरिए से पोषक तत्त्वों से भरपूर माना जाने वाला अजोला फर्न न केवल पोषक तत्त्वों से भरपूर है, बल्कि इस से दुग्ध उत्पादन को बढ़ा कर उत्पादन लागत में कमी लाई जा सकती है. अजोला फर्न खिलाने से गाय के दूध में 15 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई है.
वैसे भी देश में हरे चारे का मुख्य स्त्रोत माने जाने वाले चारागाहों, वन क्षेत्रों व कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल तेजी से सिमट गया है, जिस की वजह से पशुओं के लिए हरे चारे का संकट भी बढ़ा है. इस की पूर्ति के लिए पशुपालक को दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए चारे व दाने पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है.
ऐसी स्थिति में अजोला सस्ता, सुपाच्य व पौष्टिक आहार के रूप में एक बेहतर चारा साबित हो रहा है, जिस पर महज 2 रुपए से कम प्रति किलोग्राम की लागत आती है.
अजोला एक प्रकार का फर्न है, जो देखने में शैवाल की तरह होता है और पानी पर तैरता रहता है. यह आमतौर पर उथले पानी और धान के खेतों में पाया जाता है. मगर इस का व्यावसायिक उत्पादन फायदे का सौदा साबित हो रहा है.
अजोला किसी भी अन्य चारे से ज्यादा पौष्टिक होता है, जिस को खिलाने से दुधारू पशुओं के दूध की गुणवत्ता पहले से बेहतर हो जाती है.
Diese Geschichte stammt aus der November Second 2023-Ausgabe von Farm and Food.
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मई माह में खेती के खास काम
गरमी के इस खरीफ महीने मई में गेहूं की कटाई कर भंडारण के लिए उसे धूप में सुखा लें. उस में नमी की मात्रा 8-10 फीसदी रहे, तब इस का भंडारण करें. भंडारण से पहले भंडारगृह को कीटनाशी दवा से साफ कर लें.
आम की अनेक व्यावसायिक किस्में
अपने ही देश में तकरीबन आम की 1,000 किस्में ऐसी हैं, जिन का व्यावसायिक तौर पर उत्पादन किया जा सकता है, लेकिन इस में से बहुत कम ऐसी किस्में हैं, जिन का उत्पादन व्यावसायिक निर्यात के नजरिए से किया जाता है.
आम की बौनी, रंगीन और व्यावसायिक किस्में
हमारे देश में उगाए जाने वाले फलों में आम ही एक ऐसा फल है, जो अपने अलगअलग स्वाद, सुगंध और रंगों के लिए जाना जाता है. आम में पाया जाने वाला पोषक गुण भी इसे विशेष बनाता है, इसीलिए इसे 'फलों के राजा' का दर्जा भी प्राप्त है. आम ही एकलौता ऐसा फल है, जिस की बागबानी दुनिया के लगभग सभी देशों में की जाती है.
जलवायु परिवर्तन के दौर में काला नमक धान की खेती
काला नमक धान काली भूसी और तेज खुशबू वाली धान की एक पारंपरिक किस्म है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई वाले इलाकों के 11 जिलों और नेपाल में उगाई जाने वाली यह पारंपरिक किस्म वर्तमान में मौसम के उतारचढ़ाव और प्राकृतिक आपदा आदि के कारण कम उपज का कारण बनती है.
पैडी प्लांटर धान रोपाई यंत्र
हाथ से धान की रोपाई करने का काम बहुत थकाने वाला होता है. धान की रोपाई में कई घंटों तक झुक कर रोपाई करनी होती है, जिस से काफी परेशानी होती है और समय भी बहुत लगता है. अब बहुत से किसान धान की रोपाई हाथ के बजाय मशीनों से कर रहे हैं.
कसावा की उन्नत खेती करें
साबूदाना बनाने के लिए सब से पहले कसावा के कंद को अच्छे से धोया जाता है. इस के बाद कंदों को छील कर उनकी पिसाई की जाती है
खेत जुताई यंत्र रोटावेटर
बहुत से दूसरे यंत्रों की तरह रोटावेटर खेती में इस्तेमाल होने वाला एक ऐसा यंत्र है, जिसे ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर काम किया जाता है. इस का खासकर इस्तेमाल खेत की जुताई के लिए किया जाता है.
ड्रम सीडर यंत्र करे धान की सीधी बोआई
धान की फसल के लिए कई विधियों का प्रयोग किया जाता है. इस में नर्सरी से धान के खेत में सीधी रोपाई, एसआरआई विधि, खेत में छिटकवां विधि से धान की बोआई व ड्रम सीडर से धान की सीधी बोआई आदि.
मोटे अनाज के बेकरी उत्पादों को बनाएं रोजगार
18 मार्च, 2024 कभी मोटे अनाज (श्रीअन्न) जैसे बाजरा, ज्वार, रागी, कांगणी, सांवा, चीना आदि को गरीबों का भोजन माना जाता था, लेकिन आज अमीर आदमी मोटे अनाज के पीछे भाग रहा है. दरअसल, मोटे अनाज में ढेर सारी बीमारियों को रोकने संबंधी पोषक तत्त्वों की भरमार है, इसलिए लोग श्रीअन्न को अपने भोजन में शामिल करने लगे हैं.
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत जागरुकता कार्यक्रम
27 मार्च, 2024 को कृषि अनुसंधान केंद्र, बोरवट फार्म बांसवाड़ा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत एकदिवसीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन झेर्पारा (करजी) गांव में किया गया.