वर्तमान में आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है, जिस से इन का जंगलों से दोहन और भी बढ़ रहा है और मांग को पूरा करने के लिए कई औषधीय व सुगंधीय पौधों की खेती भी की जा रही है.
चूंकि औषधियां रोगों को ठीक करने के लिए व सुगंधीय फसलों में से सुगंधित पदार्थ निकालने में काम आते हैं, इसलिए उत्पादन ज्यादा करने के बजाय अच्छी क्वालिटी के लिए उत्पादन करना जरूरी व बाजार की मांग के मुताबिक है. अच्छी क्वालिटी हासिल करने के लिए जैविक या प्राकृतिक तरीके से उत्पादन ही एकमात्र तरीका है, क्योंकि :
● प्राकृतिक या जैविक तरीके से उत्पादन करने पर औषधीय पौधों में क्रियाशील तत्त्व व सुगंधित पौधों में तेल की मात्रा में बढ़ोतरी होती है, जबकि रासायनिक उर्वरकों जैसे यूरिया, डीएपी आदि के इस्तेमाल से उन की क्वालिटी घटती जाती है.
● रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से औषधि नहीं जहर बनता है। यानी कीटनाशकों के अवशेष रोगी के रोग को ठीक करने के बजाय उसे और ज्यादा बढ़ा सकते हैं, इसलिए सिर्फ प्राकृतिक तरीकों से रोग, कीट नियंत्रण ही औषधीय पौधों की खेती में न केवल बाजार के लिए जरूरी है, बल्कि यह एक सामाजिक जवाबदेही भी है.
● इस के अलावा कई दूसरी तरह की हानियां, जो रासायनिक खेती से जुड़ी हैं, वे सभी इन फसलों की खेती में भी होती हैं. जैसे लागत का बढ़ना, भूमि की उर्वरता का कम होना, कीटनाशकों में
प्रतिरोधकता पैदा होना और गांवखेत में प्रदूषण का बढ़ना आदि. लिहाजा, उचित यही है कि औषधीय और सुगंधीय पौधों की जैविक खेती की जाए.
जैविक खेती जरूरी भी और मजबूरी भी
पर्यावरण व भूमि को बचाने के लिए और उपभोक्ता की सेहत के लिए जैविक खेती बेहद जरूरी है. कर्ज के बोझ को कम करने व कम होते भूजल से ही खेती करने के लिए जैविक खेती मजबूरी है.
भविष्य में पैट्रोलियम पदार्थों के निरंतर बढ़ते दाम व घटती उपलब्धता से उवर्रक व कीटनाशकों की उपलब्धता (पैट्रोलियम से ही बनते हैं) ही खतरे में पड़ जाएगी, तब जैविक खेती ही मुमकिन होगी, इसलिए वर्तमान या भविष्य की जरूरत या मजबूरी को समझ कर जैविक खेती करना ही एकमात्र रास्ता है.
औषधीय व सुगंधीय पौधों की जैविक खेती के सुझाव
Diese Geschichte stammt aus der November Second 2022-Ausgabe von Farm and Food.
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मिट्टी जांच से मिले पोषक तत्त्वों की जानकारी
आमतौर पर पौधों में समुचित विकास के लिए उन्हें 16 पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, जिन में हाइड्रोजन, औक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगनीशियम, सल्फर आदि खास होते हैं.
कृषि वानिकी में लगाए सहजन
व्यावसायिक खेती के अलावा घर पर भी इस का पौधा लगाया जा सकता है. पौधा लगाने के पहले 3 साल तक इस की खास देखभाल की जरूरत पड़ती है. उस के बाद यह अपनेआप बढ़ता रहता है.
मिठास का खजाना मोंक फ्रूट की खेती
डाबिटीज से जूझ रहे लोग अगर मीठा खाने का शौक पूरा करना चाहते हैं, तो डा कुछ ऐसी चीजें हैं, जो चीनी की जगह इस्तेमाल की जा सकती हैं. ये डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को नुकसान भी नहीं पहुंचाती हैं. इस में स्टीविया की पत्तियां सब से कारगर मानी जाती हैं.
सब से दयनीय मजदूर भारत को किसान
चुनावी व्यस्तताओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस आया और चला भी गया. पूरे साल यह देश कोई न कोई राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाता रहता है. बाल दिवस, वृद्ध दिवस, महिला दिवस, किसान दिवस, पर्यावरण दिवस वगैरह. अब तो हालात ये हैं कि साल के दिन भी कम पड़ गए हैं. एक ही तारीख में कई अलगअलग राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस पड़ रहे हैं, किसे मनाएं और किसे छोड़ें? पर क्या सचमुच हमारे देश की सरकारें और हम स्वयं इन तमाम गंभीर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति गंभीर हैं?
कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण
2 मई, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा लघु एवं सीमांत किसान परिवारों में कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने व कृषि में श्रम साध्य साधनों के उपयोग पर एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, चित्तौड़गढ़ पर किया गया.
जई की नई किस्म से बढ़ेगा पशुओं का दूध
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने जई की नई उन्नत किस्म एचएफओ 906 विकसित की है. देश के उत्तरपश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इस किस्म से बहुत लाभ होगा.
कलमी या करमुआ साग की करें उन्नत खेती
पोषक गुणों से भरपूर प्रचलित सागसब्जियों के अलावा कुछ ऐसी भी सब्जियां हैं, जो आमतौर पर मिट्टी और पानी दोनों जगहों पर बहुत कम लागत और मेहनत में उगाई जा सकती हैं. हालांकि ऐसी सागसब्जियों का बहुत ज्यादा व्यावसायिक उत्पादन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में अगर किसान कम चलन वाली पोषक गुणों से भरपूर इन सब्जियों की खेती करे, तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
मुनाफा दिलाए कुंदरू की खेती
कुंदरू की सब्जी को सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है. कुंदरू में कई तरह के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. इसे अन्य सब्जियों की तुलना में विटामिन और मिनरल का काफी अच्छा स्त्रोत माना जाता है. कुंदरू की 100 ग्राम की मात्रा में विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन) 0/08 मिलीग्राम, 1.6 ग्राम फाइबर, 1.4 मिलीग्राम आयरन, 40 मिलीग्राम कैल्शियम और 0.07 मिलीग्राम विटामिन बी 1 (थियामिन) पाया जाता है.
आम की बेहतर कीमत दिलाए अच्छी पैकेजिंग
आम के फलों को अगर अच्छे बाजार मूल्य पर बेचना चाहते हैं, तो इस के लिए जरूरी है कि आम के फल देखने में दागधब्बे रहित हों और दिखने में सुंदर भी हों. साथ ही, उन का साइज भी औसत में एकजैसा होना जरूरी है. इस के लिए जितना जरूरी आम के बागों की समय से सिंचाई, गुड़ाई, जुताई और कीट व बीमारियों का प्रबंधन होता है, उतना ही जरूरी हो जाता है कि फलों की बढ़वार की नियमित निगरानी और उस का बैगिंग किया जाना.
मिट्टी में उपजाऊपन बढ़ाए हरी खाद
आज के समय में किसान या उपज लेने के लिए कैमिकल खादों का जम कर इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से मिट्टी की पैदावार कूवत पर उलटा असर पड़ता है, इसलिए मिट्टी के इन गुणों को सुधारने के लिए हरी खाद का इस्तेमाल समय की पुकार है. किसान अपने खेत में हरी खाद का इस्तेमाल कर के मिट्टी की पैदावार कूवत बढ़ाने के साथ-साथ ज्यादा उपज ले सकेंगे.