आम हो या खास, हर कोई अपने शरीर को लेकर कई तरह की उधेड़बुन में रहता है। किसी को कुछ किलो घटाने हैं तो किसी को बढ़ाने हैं। किसी के पेट के इर्द-गिर्द चर्बी जमा है तो किसी को अपनी बांहों या कूल्हों को टोन करने की जिद सवार है। कोई खुश है कि थोड़े से प्रयासों से उसने फिटनेस गोल हासिल कर लिया तो बहुत से लोग दुखी हैं कि बड़ी मुश्किल से कुछ किलो घटाए थे, एक जरा से त्योहार ने सारे किए धरे पर पानी फेर दिया। सबसे ज्यादा फ्रस्ट्रेटिंग बात तो यह है कि डॉक्टर के पास घुटनों, कमर या पीठ दर्द की शिकायत लेकर जाएं और वे ऊपर से नीचे मुआयना करते हुए कहें- खाना कम करें, वर्कआउट ज्यादा। कम से कम 5 किलो वजन कम करें। बेशक डॉक्टर्स खुद अपनी लाइफस्टाइल नहीं सुधार पाते, लेकिन मरीजों को सलाह देना उनकी ड्यूटी है।
यूटा हेल्थ यूनिवर्सिटी (यूएस) द्वारा प्रायोजित एक लेख में तीन ऐसे शोधों का जिक्र है, जिनमें कहा गया है कि सिर्फ डाइट और वर्कआउट से समस्या हल नहीं होती। दरअसल कई अन्य कारण भी मोटापे के लिए जिम्मेदार हैं।
फैट्स की लुकाछिपी
प्रोटीनयुक्त डाइट वेटलॉस में मददगार है। अकसर नॉनवेज खाने वाले लोग अच्छे प्रोटीन की खातिर चिकन मटन का रुख करते हैं। इस शोध का कहना है कि अगर कोई रोज चिकन का एक पोर्शन लगातार 10 दिन तक खाता रहे तो उसका वजन बढ़ सकता है, बेशक वह इसे प्रोटीन समझकर खा रहा हो पर इसमें फैट भी बहुत है। ऐसा यूटा स्टडी ही नहीं, बल्कि कई अन्य शोधों में भी पाया गया है। भारत में जिस तरह चिकन खाया जाता है, इस पर भी ध्यान देना जरूरी है। अकसर यह खूब सारे तेल और मसालों में पकता है, जो सेहत के लिए हानिकारक हैं। अन्य कई ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें हिडन फैट्स की मात्रा काफी होती है। इसलिए जब वजन कम करने के लिए मांसाहार का सेवन कर रहे हों तो अपने डाइटीशियन से सलाह जरूर ले लें, तभी एक सही जानकारी हासिल हो सकेगी। अपने कुकिंग मेथड्स पर भी ध्यान दें और खाद्य पदार्थों पर दिए गए लेबल्स को ध्यान से पढ़ें और समझें।
क्रोनोबायोलॉजी
Diese Geschichte stammt aus der April 2024 -Ausgabe von Vanitha Hindi.
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