फागुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनायी जाने वाली होली के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। यह दो दिन मनायी जाती है।
होलिका दहन
कई दिन पहले से ही होलिका दहन के लिए लकड़ियां जुटायी जाने लगती हैं। लकड़ियों के इस पहाड़ को उपलों से भी सजाया जाता है। औरतें उसके चारों तरफ घूम कर धागा बांधती हैं और दिया जलाकर दान चढ़ाती हैं जैसे आटा, गुड़, वगैरह। पूजा की विधि सबकी अपनी अलग होती है। शाम को होलिका दहन होता है। घर के पुरुष होलिका में गेहूं या जौ की बालियां जलाते हैं। आजकल स्त्रियां भी इसमें उपस्थित होती हैं। एक तरह से यह नई फसल का स्वागत होता है। इसके बाद सभी एक-दूसरे को अबीर-गुलाल का टीका लगाते हैं।
Diese Geschichte stammt aus der March 2024-Ausgabe von Vanitha Hindi.
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अवंतिका चौधरी - चुनौतियों के बीच ही छिपा होता है अवसर
तीन-चार लोगों के साथ शुरू हुआ था उनके व्यवसाय का सफर। कुछ अपनी बचत की गयी पूंजी थी, बाकी दोस्तों से मदद मिली। पूंजी के अलावा उन्होंने समय एवं नॉलेज का भी निवेश किया। इस तरह, लखनऊ की मूल निवासी अवंतिका चौधरी ने फूड के लिए अपने पैशन को जीते देहरादून में 'माया कैफे' की नींव रखी। उनके सामने जो बाधाएं आयीं, उन्हें स्वीकार करके आगे बढ़ीं और आखिर में अपने लक्ष्य को हासिल कर दिखाया। बिजनेस में आने वाली महिलाओं को माया कैफे की सह-संस्थापक एवं हेड शेफ अवंतिका कहना चाहती हैं कि वे खुद पर विश्वास रखें। अपनी क्षमताओं को पहचानें। जो भी विजन या काम है, उसके प्रति ईमानदार रहें। चुनौतियों में ही अवसर छिपा होता है।
पास आओ ना
कई बार स्त्रियां चाह कर भी सेक्स के लिए मूड नहीं बना पातीं। आखिर ऐसी कौन सी परेशानियां हैं, जिनका महिलाएं सामना कर रही हैं। जानिए एक्सपर्ट की सलाह-
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