हिंदी ने समय के साथ खुद को बदला है। हिंदीभाषी राज्यों के अलावा अन्य कई प्रांतों में भी हिंदी लिखने-पढ़ने वालों की बड़ी संख्या है। हर साल बहुत सी नयी पुस्तकें प्रकाशित हो रही हैं और कथ्य-शिल्प में लगातार प्रयोग हो रहे हैं। इन प्रयोगों में युवा लेखकों की बड़ी भूमिका नजर आ रही है। भाषा का यह अलहदा - निराला रूप सभी को लुभा रहा है। हिंदी शब्दकोश में पिछले 20 वर्षों में 20 हजार शब्दों से बढ़ कर डेढ़ लाख शब्द समा चुके हैं। जाहिर है, बहुत से शब्द अन्य भाषाओं के भी हैं। देश की आधी आबादी हिंदीभाषी है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश जैसी घनी आबादी वाले राज्यों के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब और उत्तर पूर्वी राज्यों में भी हिंदी बोली जाती है। फिजी, मॉरीशस, यूएई, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका आदि कई देशों में हिंदी बोली-समझी जा रही है।
बोलियों व लहजों का प्रभाव
भाषा कोई ठहरी हुई चीज नहीं है। इसमें अलगअलग भाषाओं, बोलियों और संस्कृतियों के हिसाब से बदलाव होते रहते हैं। स्थानीय शब्द, मुहावरे, रूपक, बिंब भाषा को समृद्ध करते हैं। हमारे देश के बारे में यही कहा जाता है कि 'कोस कोस पर बदले पानी चार कोस पर बानी।' सचाई यह है कि हिंदी हर चार कोस पर मिलनेवाली बोली, बानी, अन्य भाषाओं के शब्दों - जबानों और लहजों को अपनाते हुए आगे बढ़ रही है। बहुत से क्लिष्ट शब्द चलन से बाहर हुए हैं, तो आम बोलचालवाले कई भाषाओं के शब्द इसमें शामिल हो गए हैं।
बॉलीवुड फिल्मों, टीवी धारावाहिकों की कहानियां हों या विज्ञापनों की दुनिया, ठेठ देसी अंदाजवाली चुलबुली, स्थानीय मुहावरों-कहावतों को प्यार से अपनानेवाली हिंदी सभी को लुभा रही है। कभी कनपुरिया अंदाजवाले कार्टून चरित्रों की भाषा गुदगुदाती है, तो हरियाणवी गाने बॉलीवुड में सुपरहिट हो जाते हैं। राजस्थानी लहजेवाले कॉमेडियन लोगों के दिलों को छू जाते हैं, तो बुंदेलखंडी अंदाजवाली बहनें सोशल साइट्स पर धमाल कर देती हैं। भोजपुरी, मैथिली, पंजाबी, राजस्थानी, हरियाणवी, गुजराती, मराठी... तमाम भाषाओं के शब्दों से गुंथी है हिंदी।
युवा लेखन से बढ़ी उम्मीदें
Diese Geschichte stammt aus der September 2022-Ausgabe von Vanitha Hindi.
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