"आयुष, तुम ने काफी टीवी देख लिया है. अब जाओ और पौधों में पानी दो."
"बस, थोड़ा रुको मां, इतना अच्छा शो चल रहा है, मैं इसे छोड़ कर नहीं जाऊंगा," आयुष ने मना कर दिया.
"आयुष तुम एक घंटे से कार्टून देख रहे हो, अगर तुम -पौधों को पानी नहीं दोगे तो सारे पेड़पौधे मुरझा जाएंगे," मां ने समझाया.
"ओह मां, जरा सी देर में क्या हो जाएगा," आयुष बोला और फिर टीवी देखने लगा.
मुश्किल से 5 मिनट बाद बिजली चली गई और टीवी बंद हो गया. यह देख कर आयुष झुंझला गया.
"ओफ, बिजली को भी अभी जाना था, इतना अच्छा सीन चल रहा था," आयुष चिढ़ कर बड़बड़ाया.
"बहुत अच्छा हुआ, बिजली चली गई, नहीं तो तुम पूरा दिन टीवी ही देखते रहते. अब जाओ और पौधों को पानी दो," मां ने हंसते हुए कहा.
आयुष बेमन से पानी का कैन उठा कर बाहर चल पड़ा. बाहर तेज धूप से पेड़पौधे परेशान हो रहे थे.
तेज धूप से परेशान हो कर एक नन्हा गुलाब का से पौधा रोने लगा.
"इतनी तेज धूप है और मुझे भूख और प्यासी लगी है," नन्हा गुलाब का पौधा रोते हुए बोला.
पीपल के पेड़ ने कहा, "रुक जाओ गुलाबो, मैं अभी तुम्हें धूप से बचाता हूं."
"पीपल भैया, धूप से तो आप ने मुझे बचा लिया, लेकिन मुझे तो भूख और प्यास भी लग रही है," गुलाब का पौधा फिर बोला.
"मुझे भी," पास ही मौजूद गेंदे के पौधे ने भी विचलित स्वर में कहा.
Diese Geschichte stammt aus der May First 2023-Ausgabe von Champak - Hindi.
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