अपना घर
Sarita|January Second 2022
आलोक का खून खौल उठा, सोच लिया उस ने जो हो, पर आज वह मालती को नहीं छोड़ेगा, फैसला हो कर रहेगा, चाहती क्या हैं वह? लेकिन वाणी ने उसे यह कह कर रोक दिया कि यह सब करने का कोई फायदा नहीं है. लेकिन, उसे अब वह करना होगा जो वह चाहती है...
मिनी सिंह
अपना घर

डायबिटीज के मरीज अरुण की भूख जब बरदाश्त के बाहर होने लगी और वे आवाज दे कर बोलने ही जा रहे थे कि रेणु ने आंखें तरेरी, "शर्म है कि नहीं कुछ आप को? बेटी के घर आए हो और भूखभूख कर रहे हो, जरा रुक नहीं सकते? यह आप का अपना घर नहीं है, बेटी की ससुराल आए हैं हम, समझे?"

Diese Geschichte stammt aus der January Second 2022-Ausgabe von Sarita.

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फिल्मों में कैंसर लोगों को बीमारी के बारे में बताया या सिर्फ इसे भुनाया
Sarita

फिल्मों में कैंसर लोगों को बीमारी के बारे में बताया या सिर्फ इसे भुनाया

लाइलाज बीमारी कैंसर का हिंदी फिल्मों से ताल्लुक कोई 60 साल पुराना है. 1963 में सी वी श्रीधर निर्देशित राजकुमार, मीना कुमारी और राजेंद्र कुमार अभिनीत फिल्म 'दिल एक मंदिर' में सब से पहले कैंसर की भयावहता दिखाई गई थी लेकिन 'आनंद' के बाद कैंसर पर कई फिल्में बनीं जिन में से कुछ चलीं, कुछ नहीं भी चलीं जिन की अपनी वजहें भी थीं, मसलन निर्देशकों ने कैंसर को भुनाने की कोशिश ज्यादा की.

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April Second 2024
अधेड़ उम्र में शादी पर सवाल कैसा
Sarita

अधेड़ उम्र में शादी पर सवाल कैसा

आयु का इच्छाओं से कोई संबंध नहीं है. अगर आप अपने बलबूते पर, खुद के भरोसे 60 वर्ष की आयु में भी शरीर बनाना चाहते हैं, दुनिया की सैर करना चाहते हैं, किसी हसीना के साथ डेट पर जाना चाहते हैं या शादी करना चाहते हैं तो भई, इस पर सवाल कैसा?

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April Second 2024
वौयस क्लोनिंग का खतरा
Sarita

वौयस क्लोनिंग का खतरा

आजकल वौयस क्लोनिंग के जरिए महिलाओं को बेवकूफ बनाया जा रहा है. एआई की मदद से प्रेमी, भाई या किसी अन्य परिजन की आवाज में कौल कर पैसे ऐंठे जा रहे हैं जो डिजिटलीकरण की कमियां दिखा रहा है.

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April Second 2024
हीनता और वितृष्णा का प्रतीक पादुका पूजन
Sarita

हीनता और वितृष्णा का प्रतीक पादुका पूजन

भारत में गुरु तो गुरु, उन की पादुकाएं तक पैसा कमाती हैं. इसे चमत्कार कहें या बेवकूफी, यह अपने देश में ही होना संभव है. धर्मगुरुओं ने प्रवचनों के जरिए लोगों में आज कूटकूट कर इतनी हीनता भर दी है कि वे मानसिक तौर पर अपाहिज हो कर रह गए हैं.

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April Second 2024
बाल्टीमोर ब्रिज हादसा पुल के साथ ढहा भारतीय आत्मसम्मान
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बाल्टीमोर ब्रिज हादसा पुल के साथ ढहा भारतीय आत्मसम्मान

अमेरिका और अमेरिकी बहुत ज्यादा उदार नहीं हैं. विदेशियों, खासतौर से अश्वेतों के प्रति उन के पूर्वाग्रह, कुंठा, जलन और हिंसा सहित तमाम तरह के भेदभाव दैनिक सामाजिक जीवन का हिस्सा हैं जिन की तुलना हमारे देश में दलितों से किए जाने वाले व्यवहार से की जा सकती है. बाल्टीमोर पुल हादसे के बाद यह बात एक बार फिर साबित हुई है कि हमारी सरकार ने इस से कोई सरोकार नहीं रखा.

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6 Minuten  |
April Second 2024
राजनीति में अदृश्य जंजीरों से बंधी महिलाएं
Sarita

राजनीति में अदृश्य जंजीरों से बंधी महिलाएं

सावित्रीबाई फुले ने जो सोचा था कि पढ़लिख कर महिलाएं रूढ़ियों की जंजीरों को तोड़ देंगी वह हो नहीं सका क्योंकि आज शिक्षित होने के बाद भी महिलाएं कलश यात्राओं में शामिल हो कर अपनी आजादी देख रही हैं. वे बेहतर प्रबंधक होते हुए भी राजनीति में महज शोपीस बन कर रह गई हैं.

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6 Minuten  |
April Second 2024
बीमारियों को न्योता देता मोटापा
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बीमारियों को न्योता देता मोटापा

मोटापा भारत समेत पूरी दुनिया की समस्या बनता जा रहा है. हालांकि यह समस्या ऐसी है जिसे वक्त रहते नियंत्रित किया जा सकता है, परंतु उस के लिए सही आकलन करना जरूरी है. जानिए कि कब मोटापे का अलार्म बजने लगता है?

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April First 2024
महिलाओं को कमजोर बनातीं धार्मिक कलश यात्राएं
Sarita

महिलाओं को कमजोर बनातीं धार्मिक कलश यात्राएं

8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर देशभर में कई छोटेबड़े आयोजन हुए थे. उन समारोहों में अपने अपने क्षेत्रों की महिलाओं को सफल सम्मानित किया गया था और जम कर हुई भाषणबाजी में महिलाओं को देवी साबित करने का रिवाज भी कायम रहा था. वक्ताओं ने गागा कर बताया था कि आज महिलाएं किसी क्षेत्र में उन्नीस नहीं हैं. तमाम भाषणों का सार कुछ यों निकलता है.

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April First 2024
मजबूत हो रहे हैं औरतों के हक बढ़ रहे हैं तलाक के मामले
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मजबूत हो रहे हैं औरतों के हक बढ़ रहे हैं तलाक के मामले

जैसेजैसे औरतें शिक्षित हुईं, नौकरी में आगे बढ़ीं, उन्हें अपने खिलाफ होने वाली गलत बातों पर आवाज उठाना भी आने लगा. आर्थिक मजबूती इंसान में हिम्मत लाती है. यही औरतों के साथ भी हुआ. अब पति की मारपीट व गालियां जब बरदाश्त नहीं होतीं तो वे तलाक का रास्ता अपनाने से गुरेज नहीं करतीं.

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April First 2024
एंटीएस्टैब्लिशमेंट प्रोफेसर जी एन साईबाबा आखिर किस बात की सजा मिली
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एंटीएस्टैब्लिशमेंट प्रोफेसर जी एन साईबाबा आखिर किस बात की सजा मिली

प्रोफैसर साईबाबा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच फुटबौल सा बन चुके हैं जो 8 वर्षों से किक ही खा रहे हैं. लेकिन उन की दास्तां दुखद रूप से दिलचस्प है जिस का सार यह है कि उन का मनोबल दक्षिणपंथियों से टूट नहीं रहा.

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April First 2024