Uday India Hindi - March 07, 2020
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In dieser Angelegenheit
Uday India (Hindi) cover story of the latest issue is on Delhi riot.
It carries an exclusive article on coronavirus.
It also contains an article on Congress.
दिल्ली के दंगों के पीछे कौन
दिल्ली में दंगे कैसे हुए, इस पर तमाम तरह की चर्चाएं चल रही हैं। चूंकि दिल्ली पुलिस सीधे केंद्र सरकार के नियंत्रण में आती है, लिहाजा दंगों के लिए केंद्र सरकार पर सवाल उठने ही थे और उठे भी। लेकिन मीडिया और राजनीति का एक कर्मकांड है। दंगों के लिए किसी को बलि बनाना। जिस तरह का आज का राजनीति एवं मीडिया का विमर्श है, उसमें दंगों के लिए अमित शाह को बलि का बकरा बनाने की कोशिश शुरू हो गई। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 28 फरवरी को कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस करके और राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान अमित शाह का इस्तीफा मांगकर इस विमर्श को मंच जरूर दे दिया। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या अतीत में कांग्रेसी शासन में हुए दंगों में कभी किसी गृहमंत्री से इस्तीफे मांगे गए। कांग्रेस के इतिहास पर नवंबर 1984 का दंगा कालिख की तरह छाया हुआ है। लेकिन क्या उस वक्त के गृहमंत्री पामुलपति वेंकट नरसिंह राव से किसी ने इस्तीफा मांगा। जैसे ही प्रत्युत्तर में यह सवाल उछलता है, अमित शाह के इस्तीफे की मांग बेमानी हो जाती है।
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घायल दिल्ली
सवाल तो बहुत हैं और सभी से हैं। शुरू से शुरू करें तो बात शुरू हुई थी नागरिकता कानून से, नहीं बल्कि शायद बात शुरू हुई थी तीन तलाक, धारा 370 और फिर राम मंदिर के फैसलों से। क्योंकि सीएए के विरोध प्रदर्शन में शामिल मुस्लिम महिलाएं और पुरुष ही नहीं खुद अनेक मौलाना भी टीवी डिबेट में यह कहते सुने गए कि हम तीन तलाक पर चुप रहे, 370 पर शांत रहे, राम मंदिर का फैसला भी सहन कर लिया लेकिन अब सीएए पर शांत नहीं रहेंगे।
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परीक्षा के दिन क्या करें
विद्यार्थियों के जीवन में परीक्षा का दिन काफी भय और उलझन का होता है। परीक्षा की काफी अच्छी तैयारी के बावजूद एक छात्र के लिए यह दिन तनाव से भरा होता है। सच पूछे तो एक छात्र के जीवन में परीक्षा की चिंता स्वाभाविक है और इस कठिन राह से गुजर करके ही वह उत्कृष्टता को प्राप्त कर पाता है।
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गजवा-ए-हिन्द की एक झलक?
दिल्ली के दंगे पूरी तरह से सुनियोजित थे जिसकी तैयारी केजरीवाल सरकार बनने के बाद से ही शुरू हो गयी थी। 'आप' के पार्षद ताहिर हुसैन इस साजिश के सूत्रधार बनते हैं, अमानतुल्लाह खान का और केजरीवाल का मौन समर्थन पाकर। चुनावों के करीब पंद्रह दिनों के बाद 24 फरवरी को सुबह 11:00 बजे से ही ताहिर हुसैन ने लोगों को इकट्ठा करना शुरु कर दिया था। 12:00 बजे उस क्षेत्र के सभी मुस्लिम माता-पिता ने स्कूल से अपने बच्चों को निकालना शुरु कर दिया था। पूछे जाने पर बताया की दंगे होने वाले हैं लेकिन प्रिंसिपल ने उनकी बातों को गम्भीरता से नहीं लिया क्योंकि उन्होंने साफ-साफ कुछ भी नहीं बताया, तो उन्होंने सोचा की शायद ये लोग नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन में जा रहे होंगें। तब तक स्कूल मे सिर्फ हिंदुओं के ही बच्चे रह गए थे। मुस्लिम दुकानदार ने अपनी दुकान बन्द कर घर जा चुके थे। इसके बाद लगभग 02 बजे हजारों की संख्या में मुस्लिम भीड़ हिन्दुओं की गलियों में घुसते हुए रास्ते में आये पेट्रोल पंप फूंकती है।
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किसी न्यायाधीश द्वारा प्रधानमंत्री की प्रशंसा नहीं अनुचित
सुप्रीम कोर्ट बार एशोसिएशन का प्रश्न उठाना गलत
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दिल्ली को इस्लामाबाद बनाना चाहते हैं शाहीनबागी
दिल्ली के शाहीन बाग में धरना चलते हुए 2 महीनों से अधिक का वक्त बीत चुका है। इतने वक्त में दिल्ली ने बहुत कुछ सहा है। दिल्ली की हालत और हालात पर कभी फिर बात करेंगे, आज बात शाहीनबागियों की।
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गुणकारी गाजर
गाजर रक्त शुद्ध करनेवाली है। 10-15 दिन केवल गाजर के रस पर रहने से रक्तविकार, गांठ, सूजन एवं पाण्डुरोग जैसे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। इसमें लौहतत्त्व भी प्रचुरता में पाया जाता है। खूब चबा-चबाकर खाने से दांत मजबूत, स्वच्छ एवं चमकीले होते हैं तथा मसूढ़े मजबूत होते हैं।
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कांग्रेस का कमजोर नेतृत्व नहीं संभाल पा रहा अपनी 'किटी'
मध्य प्रदेश निकला तो राजस्थान भी निकल जायेगा हाथों से
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Uday India Hindi Magazine Description:
Verlag: uday india
Kategorie: News
Sprache: Hindi
Häufigkeit: Fortnightly
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