कल्पित कहानी, बयानों में कई विरोधाभास
शिकायतकर्त्री महिला दो महिलाओं के नाम बताती है कि वे उसके साथ अन्य १० महिलाओं को २००१ में बापूजी के पास वक्ता के रूप में चयन के लिए ले गयी थीं जबकि धारा १६४ के अंतर्गत दिये अपने बयान में इसी तथाकथित वृत्तांत में वह तीसरी ही महिला का नाम बताती है कि वह २००२ में वहाँ लेकर गयी थी।
शिकायतकर्त्री कहती है कि गुरुपूर्णिमा २००१ (जुलाई २००१) में उसे वक्ता बनाने के लिए चयन हेतु बापूजी के पास ले जाया गया, उसके बाद उसके साथ गलत काम किया गया। हकीकत यह है कि २६ जनवरी २००१ को भुज में भूकम्प आया था तब उसने वहाँ प्रवचन किये थे। यह बात उसने स्वयं कबूल की है। अर्थात् वह पहले से ही वक्ता थी और जिन अन्य महिलाओं को वक्ता के चयन के लिए ले जानेवाली बात उसने कही है उनमें से अधिकतर बहनें सन् २००० के पहले से ही वक्ता के रूप में सेवा देती थीं । स्पष्ट है कि शिकायतकर्त्री द्वारा कही गयी बात गलत है।
कहीं वह बोलती है कि गुरुपूर्णिमा के दिन उसके साथ गलत हुआ, कहीं बोलती है गुरुपूर्णिमा के दूसरे दिन ऐसा हुआ, कहीं गुरुपूर्णिमा के ५६ दिन बाद की तो कहीं जन्माष्टमी के दिन की तथाकथित बात बताती है... कुल मिला के उसका कोई स्टैंड ही नहीं है। क्यों? क्योंकि उसने अन्य षड्यंत्रकारियों के साथ मिलकर काल्पनिक कहानी बनायी है।
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