يحاول ذهب - حر
एक युवा स्वयंसेवक से संघ प्रमुख तक की यात्रा
September 11, 2025
|Dainik Bhaskar Chhatarpur
आज एक ऐसे व्यक्तित्व का 75वां जन्मदिवस है, जिन्होंने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र पर चलते हुए समाज को संगठित करने, समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना जीवन समर्पित किया है।
संघ परिवार में जिन्हें सरसंघचालक के रूप में संबोधित किया जाता है, ऐसे आदरणीय मोहन भागवत जी का आज जन्मदिन है। सुखद संयोग है कि इसी साल संघ भी अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है।
मेरा भागवत जी के परिवार से बहुत गहरा संबंध रहा है। मुझे उनके पिता स्व. मधुकर राव भागवत जी के साथ निकटता से काम करने का सौभाग्य मिला था। मैंने अपनी पुस्तक ज्योतिपुंज में मधुकर राव जी के बारे में विस्तार से लिखा भी है। वकालत के साथ-साथ मधुकर राव जी जीवनभर राष्ट्र निर्माण के कार्य में समर्पित रहे। अपनी युवावस्था में उन्होंने लंबा समय गुजरात में बिताया और संघ कार्य की मजबूत नींव रखी। उनका राष्ट्र निर्माण के प्रति झुकाव इतना प्रबल था कि अपने पुत्र मोहन राव को भी इस महान कार्य के लिए निरंतर गढ़ते रहे। उन्होंने मोहन राव के रूप में एक और पारसमणि तैयार कर दी।
भागवत जी 1970 के दशक के मध्य में प्रचारक बने। सामान्य जीवन में प्रचारक शब्द सुनकर ये भ्रम हो जाता है कि कोई प्रचार करने वाला व्यक्ति होगा, लेकिन जो संघ को जानते हैं उनको पता है कि प्रचारक परंपरा संघकार्य की विशेषता है। देशभक्ति की प्रेरणा से भरे हजारों युवक-युवतियों ने घर-परिवार त्यागकर पूरा जीवन संघ परिवार के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित किया है। भागवत जी भी उस महान परंपरा की मजबूत धुरी हैं।
هذه القصة من طبعة September 11, 2025 من Dainik Bhaskar Chhatarpur.
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