फिट रहना कितना जरूरी है, कोरोना ने यह सबक बखूबी समझाया है. अब लोग फिटनेस को ले कर बहुत ज्यादा जागरूक हो गए हैं. हैल्दी लाइफस्टाइल, हैल्दी डाइट, जिम जाना जैसी चीजों को युवा लड़केलड़कियां सीरियसली फौलो कर रहे हैं. अधेड़ उम्र के लोग भी अब पार्कों के ओपन जिम में नजर आने लगे हैं. फिटनेस के प्रति युवाओं की बढ़ती रुचि के चलते ही शहरों में जिम की संख्या स्कूलकालेजों की संख्या से अधिक हो गई है. अनेक शहरों में हर गलीमहल्ले में जिम खुले हुए हैं, जहां बड़ी संख्या में युवा वर्जिश के लिए आ रहे हैं. इन में से मात्र 25 फीसदी जिम ही रजिस्टर्ड होते हैं. ज्यादातर में अनट्रैंड कोच भरे हुए हैं. वही आप को वर्जिश का अधकचरा तरीका सिखा रहे हैं और वही जल्दी से जल्दी मसल्स बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की दवाएं व पाउडर का घोल पीने की सलाह दे रहे हैं.
मसल्स बनाने के लिए आजकल युवाओं में होड़ मची हुई है. मसल्स बनाने के लिए जब युवा जिम जाता है तो जिम ट्रेनर सब से पहले प्रोटीन रिच डाइट लेने की सलाह देते हैं और प्रोटीन पाउडर का डब्बा उन्हें पकड़ा देते हैं. पहले कोई 4 या 5 कंपनियां प्रोटीन पाउडर बेचती थीं. यह पाउडर डाक्टर की सलाह पर कैमिस्ट शौप से खरीदे जाते थे, मगर आज बाजार में 20 से अधिक कंपनियों के प्रोटीन पाउडर बिक रहे हैं और इन के सेल्स मैनेजर जिम और हैल्थ सैंटरों तक पूरा जाल बिछा चुके हैं.
देशभर के जिमों में आज प्रोटीन पाउडर बिक रहे हैं जो युवाओं की सेहत बनाने की जगह बिगाड़ रहे हैं. इंदौर जैसे शहर में 500 से अधिक जिम और 20 से ज्यादा दुकानों से प्रतिदिन 4 लाख रुपए का प्रोटीन पाउडर बेचा जा रहा है. 6 साल में इसकी बिक्री 25 प्रतिशत बढ़ गई है. दाम भी तीनगुना अधिक हो गए हैं. 5 किलो प्रोटीन पाउडर के डब्बे का दाम करीब 14,500 रुपए है.
هذه القصة مأخوذة من طبعة March First 2024 من Sarita.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 8500 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة March First 2024 من Sarita.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 8500 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
50 प्लस की एंड यंग हौट ब्यूटीज
बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति की सुंदरता कम होने लगती है. उम्र के साथ चेहरे पर लकीरें नजर आना और शरीर में थोड़ी चरबी का बढ़ना आम बात है. लेकिन फिल्म जगत में ऐसी कई अदाकाराएं हैं जिन्होंने अपनी खूबसूरती से उम्र को मात दी है. बढ़ती उम्र के साथ ये ऐक्ट्रैसेस और ज्यादा खूबसूरत होती जा रही हैं.
खुशी हमारी मुट्ठी में
जिंदगी में हमेशा खुश रहने के साथ स्वस्थ, सक्रिय व संतुष्ट जीवन बिताना चाहते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है.
मैट्रो और मोबाइल
मोबाइल का गलत उपयोग करना कितना गलत परिणाम देता है, यह मुझे तब पता चला जब मैं एक दिन मैट्रो में सफर कर रहा था. विश्वास न हो खुद ही जान लीजिए ताकि आप को भी एहसास हो ही जाए.
करीबी रिश्ते में खटास लाए बीमारियां
रिलेशनशिप में खटास न सिर्फ मैंटल हैल्थ को प्रभावित करती है बल्कि फिजिकल हैल्थ पर भी इस का बुरा असर पड़ता है क्योंकि इस से होने वाले स्ट्रैस से कई तरह की बीमारियां पनपने लगती हैं.
एबौर्शन का फैसला औरत का ही हो
भारत के अनाथाश्रमों में लाखों की संख्या में ऐसे नवजात शिशु पल रहे हैं जिन को पैदा कर के मरने के लिए सड़कों, कूड़े के ढेर, नालियों व गटर में फेंक दिया गया. क्यों? क्योंकि समय पर गर्भवती अपना गर्भ गिराने में नाकाम रही और मजबूरन उसे अनचाहे बच्चे को जन्म देना पड़ा.
क्यों घर से भाग कर पछताती नहीं लड़कियां
कम उम्र की लड़कियों के घर से भागने की वजहें, थोड़ी ही सही, बदल रही हैं. माना यह जाता है कि लड़कियां आमतौर पर फिल्मों में हीरोइन बनने के लिए भागती हैं और नासमझी के चलते कोई भी उन्हें इस बाबत बहका लेता है.
दहेज से जुड़ी मौतें जिम्मेदार कौन
दहेज हत्या मामले में अकसर लड़के और उस के घर वालों को हिरासत में ले लिया जाता है. मगर क्या सही में दहेज से जुड़े मामलों में हमेशा सारा दोष लड़के या उस के घर वालों का ही होता है? कई बार इस के लिए दोषी खुद लड़की, उस के घर वाले और हमारा समाज भी होता है.
एकादशी महात्म्य - एकादशियों की ऊलजलूल कथाएं बनाम लूट का साधन
एकादशी के कर्मकांड अधिकतर संपन्न व खातापीता तबका करवाते दिखाई देता है. वे बड़े चाव से इस की ऊलजलूल कथाएं सुनते हैं, लेकिन शायद ही वे इस पर कोई सार्थक विमर्श कर पाते हैं या सवाल खड़े कर पाते हैं. अगर वे चिंतनशील होते तो जान जाते कि कैसे एकादशी कर्मकांड पंडों के लूट का साधन के सिवा और कुछ नहीं.
गुड गवर्नेस को मुंह चिढ़ाता पेपर लीक
'मैं अब और जीना नहीं चाहता, मेरा मन भर गया है. मेरी मौत के बाद किसी को परेशान न किया जाए. मैं ने अपनी बीएससी की डिग्री जला दी है. ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा जो एक नौकरी न दिला सके.' पेपर लीक से परेशान व निराश युवा बृजेश पाल ने अपनी जान दे दी. यह उत्तर प्रदेश के कन्नौज के रहने वाले बृजेश पाल की ही व्यथा नहीं है, देश के कई मजबूर व बेरोजगार नौजवानों की भी यही कहानी है.
प्रज्वल रेवन्ना - राजनेता और पोर्न फिल्मों का धंधेबाज
पोर्न फिल्में अब हर किसी की जरूरत बन चुकी हैं. लोग इन्हें उत्तेजना के लिए भी देखते हैं और कई इन्हीं के जरिए जिज्ञासाएं शांत करते हैं. यह देह व्यापार की तरह का अपराध है जिसे कानूनन तो क्या, किसी भी तरीके से बंद नहीं किया जा सकता. वजह, इस का नैसर्गिक होना है. टैक्नोलौजी ने इस की पहुंच सस्ती और आसान भी कर दी है. पोर्न इंडस्ट्री की अपनी अलग दुनिया है लेकिन इस में हलचल तब मचती है जब प्रज्वल रेवन्ना जैसी कोई हस्ती इस में इन्वाल्व पाई जाती हैं.