तत्कालीन संयुक्त मध्य प्रदेश में जब 1990 में चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी ने करीब 30 युवाओं को मैदान में उतारा, जिनमें कई ने इसके युवा संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) में रहकर राजनीति का ककहरा सीखा था. पार्टी की यह सोची-समझी रणनीति पूरी तरह कारगर भी रही. भाजपा ने 320 सदस्यीय विधानसभा में 220 सीटें जीतकर कांग्रेस की दस साल पुरानी सरकार को उखाड़ फेंका. वह चुनावी जंग जीतकर आए नवोदित नेताओं में शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय और रमन सिंह शामिल थे, जो आने वाले दशकों में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के राजनैतिक परिदृश्य पर छाए रहे.
गत 13 दिसंबर को उसी '1990 बैच' के एक और अनुभवी नेता को 35 साल लंबी सियासी मेहनत के बाद सत्ता शीर्ष पर पहुंचने का मौका मिला, ये कोई और नहीं बल्कि 59 वर्षीय विष्णु देव साय हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ के चौथे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है. ऐसा नहीं है कि भाजपा ने रायगढ़ से चार बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री साय को मुख्यमंत्री पद के लिए पहले से तैयार किया था, या फिर पार्टी की जीत के बाद उनका चयन सोचा-समझा फैसला था. दरअसल, अगस्त 2022 में भाजपा ने उनकी जगह बिलासपुर के तत्कालीन सांसद अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था. यह भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को घेरने की भाजपा की रणनीति का हिस्सा था. उस समय तो साय का भविष्य एकदम अनिश्चित नजर आ रहा था, तो फिर आखिर सत्ता के खेल में उनकी वापसी कैसे हुई?
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के साथ कड़ी टक्कर और कुछ मायनों में अप्रत्याशित जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कई नाम सामने आए. इनमें साव और साय के अलावा तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह और रायगढ़ की पूर्व सांसद गोमती साय भी शामिल हैं. इन सभी नेताओं ने विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की थी.
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