मध्य नवंबर में बाली शिखर सम्मेलन के अंत में जी20 (ग्रुप ऑफ ट्वेंटी) की अध्यक्षता का जो लकड़ी का हथौड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा गया, वह भले बहुत छोटा दिखाई दे, मगर उसके साथ आने वाली जबरदस्त जिम्मेदारियां इसकी कदकाठी के मुकाबले बहुत बड़ी हैं. 1 दिसंबर को भारत ने औपचारिक रूप से जिस जी20 की जिम्मेदारी संभाली, उसके सदस्य देश दुनिया की 60 फीसद आबादी की नुमाइंदगी करते हैं, वैश्विक जीडीपी में उनका 85 फीसद और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75 फीसद हिस्सा है. 1999 में शुरुआत से ही जी20 प्रमुख आर्थिक मुद्दों पर और हाल में भू-राजनैतिक सरोकारों पर भी दुनिया के सबसे ताकतवर अंतरराष्ट्रीय मंच के तौर पर उभरा. संयोग से दिसंबर में भारत एक महीने के लिए सर्वशक्तिमान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भी ग्रहण करेगा. सितंबर, 2023 तक वह दुनिया के सबसे बड़े क्षेत्रीय मंच शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अध्यक्षता भी करेगा. विश्व मंच पर यह वाकई भारत का लम्हा है.
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