एक तीर से कई शिकार!
देश के औद्योगिक राज्य महाराष्ट्र की राजनीति पिछले कुछ दिनों से खासा चर्चा में बनी हुई थी। महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर विभिन्न राज्यों के अलावा पड़ोसी देशों में भी जमकर चर्चा हो रही थी। देश-विदेश में लोग न्यूज चैनलों पर महाराष्ट्र की खबरों को लेकर नजर गड़ाए हुए थे। वहां क्या हलचल हो रही थी, उस पर ज्यादा चर्चाएं होती रहीं। दरअसल, महाराष्ट्र राज्य सत्ता पलट हो गया है, लेकिन पिछले दो सप्ताह के बीच इस प्रकार सत्ता पलट का खेल हुआ है कि वह एक इतिहास बन गया है।
इस राजनीतिक खेल में ऐसी चाल चली गई कि कई राजनीतिक योद्धा एक ही तीर से घायल हो गए। चाहे वह एनसीपी के शरद पवार हों या शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अथवा कांग्रेस की केन्द्रीय इकाई। इसके अलावा भाजपा के ही देवेंद्र फडणवीस भी ठिकाने लग गए। किसने चाल चली थी, सबको पता है और किसी को पता भी नहीं है।
शिवसेना में फूट डाल दी गई, शिवसेना के 44 विधायक एकनाथ शिंदे की अगुवाई शिवसेना के नेतृत्व वाली कांग्रेस-एनसीपी के साथ महाविकास आघाड़ी गठबंधन से अलग हो गए। उनका आरोप था कि इस गठबंधन में रहना शिवसेना के लिए नुकसानदेह है।
हिंदुत्व के विचारों को एकत्र कर सम्मान की वकालत करते हुए बागी विधायकों ने भाजपा से समर्थन लेते हुए शिवसेना की नई सरकार बनवा दी और 4 जुलाई को शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंद ने 288 सदस्य वाले विधान सभा में 164 विधायकों के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री पद की परीक्षा भी पास कर ली। भाजपा के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनकर ही संतोष करना पड़ा।
भाजपा को आंखें दिखाने वाले शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भी अपने पार्टी के विधायकों पर कंट्रोल रखने में एक प्रकार से फेल ही साबित हुए। खुद को बालासाहेब ठाकरे का वारिस बताने वाले उद्धव की नाक के नीचे से उनके पार्टी के दो तिहाई विधायक चले गए। कुछ तो उनके साथ रहकर खाना खाने के बाद भी चले गए। उद्धव इस खेल में पूरी तरह से पस्त हो गए। दिल्ली में बैठी कांग्रेस इकाई उद्धव के साथ रहने का दावा करती रही। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की कई बार उद्धव से बात भी हुई लेकिन उनके हाथ में कुछ नहीं था। वह खुद अचंभित थीं की ऐसा कैसे हो गया?
هذه القصة مأخوذة من طبعة July 2022 من DASTAKTIMES.
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दलतंत्र को लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करना चाहिए
वाणी की शक्ति अपरिमित है। संस्कृति मनुष्य को उदात्त बनाती है। संस्कृत देववाणी है। इसमें संस्कृति के विकास की विराट क्षमता है। भारतीय संस्कृति में वाणी और शब्द के आश्चर्यजनक सदुपयोग मिलते हैं लेकिन राजनैतिक क्षेत्र में सामान्य वक्तव्य भी हिंसक हो जाते हैं। भारतीय सुभाषितों में कहा गया है कि सत्य बोलो-सत्यम ब्रूयात। प्रिय बोलो-प्रियं ब्रूयात। लेकिन अप्रिय सत्य मत बोलो। यहां सत्य को भी अप्रिय होने के कारण उचित नहीं कहा गया।
देशभक्ति की भावना भरेंगे 'योद्धा' सिद्धार्थ मल्होत्रा
सिद्धार्थ मल्होत्रा, राशि खन्ना और दिशा पटानी अभिनित ऐक्शन फिल्म 'योद्धा' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म एक विशेष टास्क फोर्स अधिकारी अरुण कात्याल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) की यात्रा की कहानी पर आधारित है, जो देश को आतंकवादियों से बचाने के लिए कुछ भी करेगा।
धोनी का जलवा बरकरार!
आईपीएल के अपने पहले ही मैच में विस्फोटक बल्लेबाजी से जीता दिल
बदल रहे मौसम में अपने खान-पान का रखें ध्यान
कहा जाता है कि तंदुरुस्ती हजार नियायत है, सेहत ठीक रहेगी तभी हर काम फिट होगा। पंचतत्व से बना मानव शरीर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है पर इसका संचालन खुद मानव के हाथ में है।
समुद्री डकैतों के लिए खौफ बन कर उभर रही भारतीय नौसेना
हिंद महासागर के कई इलाकों में समुद्री डकैती जारी है । सोमालिया, इथोपिया, इरिट्रिया और जिबूती जैसे देशों के समुद्री डकैत समंदर में सामानों से भरे जहाज लूटने में लगे हैं और अब भारतीय नौसेना इनके लिए एक काल बनके उभरी है। भारतीय नौसेना ने अरब सागर और अदन की खाड़ी जैसे क्षेत्रों में मैरीटाइम सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए 35 समुद्री लुटेरों को पकड़कर उन्हें मुंबई लेकर आई। इस कार्यवाही को आईएनएस कोलकाता ने अंजाम दिया है।
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम से मिल रही नई ऊर्जा
उत्तराखंड ऊर्जा निगम ने केन्द्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में घर-घर बिजली पहुंचाने और फाल्ट की समस्या के निस्तारण के लिए ठोस पहल की। उत्तराखंड ऊर्जा निगम का दावा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को 99 प्रतिशत विद्युतीकृत कर दिया गया है। हालांकि पहाड़ों के कुछ दुर्गम क्षेत्रों तक बिजली पहुंचना बाकी है।
बसपा फिर से सोशल इंजीनियरिंग की राह पर
बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव में अपना पूरा दमखम दिखाने की कोशिश कर रही है। किसी भी चुनाव में मायावती की उपस्थिति इसलिए काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि उनके पास दलितों का अच्छा खासा वोट है। मायावती की पहचान एक सशक्त दलित नेता के रूप में भी होती है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है इस बार है मायावती नहीं, उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद ने प्रचार की शुरुआत की। मायावती के भतीजे आकाश अब बीएसपी में नंबर 2 की हैसियत पर हैं।
यूपी में पेंडुलम की तरह झूलते ओबीसी वोटर!
केन्द्र में मोदी को शीर्ष तक पहुंचाने में ओबीसी की बड़ी भूमिका रही है। राज्यों में मुलायम, लालू एवं नीतीश की राजनीति भी ओबीसी की फैक्ट्री से ही निकली। आज भी कई राज्यों में राजनीतिक दलों का भविष्य ओबीसी वोटरों के मूड पर निर्भर करता है। यह तब है जबकि चुनाव आयोग के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है, जो बता सके कि किस वर्ग ने किस दल को वोट किया।
पश्चिमी यूपी के मुसलमान इस बार किसके साथ?
पश्चिमी यूपी की 27 सीटों पर पहले तीन चरणों में मतदान होना है, जहां मुस्लिम वोटर की बड़ी आबादी किसी भी चुनाव का परिणाम बदलने का माद्दा रखती है। सपा, बसपा ने पिछले चुनाव में इसी समीकरण के जरिए आठ सीटें जीती थीं। वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाटों और मुस्लिमों के बीच जो दूरी बढ़ी, वह रालोद के लगातार प्रयास से कम हुई थी।
पहला द्वार पश्चिमी यूपी तो 7वां पूर्वांचल में खुलेगा
19 और 26 अप्रैल को प्रथम एवं द्वितीय चरण का मतदान होगा। इन दोनों चरणों में पश्चिमी यूपी की 16 सीटों पर वोटिंग होगी। प्रथम और दूसरे चरण के मतदान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क्रमशः आठ-आठ सीटों के उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। 07 मई को भी तीसरे चरण में दस सीटों पर मतदान होगा। इसमें भी 10 में से पश्चिमी यूपी की चार सीटें शामिल होंगी।