इन सब्जियों में हानिकारक कीटों का प्रकोप फसल की ठीक से देखभाल न करने से होता है. आज सब्जियों में कीटनाशकों का प्रयोग जम कर सब्जी उत्पादक कर रहे हैं. किसीकिसी सब्जी की फसल पर 7-12 बार कीटनाशी का छिड़काव करते पाया गया है. सब्जी फसलों में कीटनाशक रसायनों का प्रयोग इन के कुल उपयोग का 13-14 फीसदी (तकरीबन 0.678 ग्राम सक्रिय तत्त्व प्रति हेक्टेयर ) है.
ऐसे में जरूरत से अधिक रसायनों का प्रयोग सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रहा है. बिना कीटनाशकों के भी कृषि क्रियाएं एवं जैविक विधि से कीटों का प्रबंधन किया जा सकता है. इस के लिए कीटों के प्रकोप की पहचान, प्रबंधन की समुचित विधियों की जानकारी होना जरूरी है.
गोभीवर्गीय सब्जियों में कीट एवं प्रबंधन माहू
यह कीट गोभी के पत्तों पर हजारों की तादाद में चिपके रहते हैं. ये हलके पीले रंग के होते हैं. व्यस्क कीट पंखदार व पंखरहित दोनों प्रकार के पाए जाते हैं. ये हमेशा चूर्णी मोम से ढके रहते हैं, जो इन के हरे रंग को छिपाए रखती है.
इस कीट के शिशु व प्रौढ़ दोनों ही रस चूस कर पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. माहू अपने शरीर से स्त्राव करते हैं, जिस से फफूंद का संक्रमण होता है. इस वजह से गोभी खाने व बिकने योग्य नहीं रहती है. इस कीट का प्रवेश नवंबर से अप्रैल माह तक सक्रिय रहता है.
प्रबंधन
● नीम की गिरी 40 ग्राम महीन कर के प्रति लिटर पानी में घोल कर चिपकने वाले पदार्थ के साथ मिला कर छिड़काव करें.
● लेडी बर्ड भृंग परभक्षी कीट के 30 भृंग प्रति वर्गमीटर के प्रयोग से इस कीट का नियंत्रण सफलतापूर्वक किया जा सकता है.
● पीला स्टिकी ट्रैप प्रति एकड़ में 10 लगाएं.
हीरक पृष्ठ
इस कीट का रंग धूसर होता है. जब यह बैठता है, तो इस की पीठ पर 3 हीरे की तरह चमकीले चिह्न दिखाई देते हैं, इसलिए इस को हीरक पृष्ठ कीट के नाम से जाना जाता है. सूंडी का रंग पीलापन लिए हुए होता है.
इस कीट का प्रकोप सब से ज्यादा पत्तागोभी की फसल पर होता है. सूंड़ियां पत्तियों की निचली सतह को खाती हैं और छोटेछोटे छेद बना देती हैं. ज्यादा प्रकोप की दशा में पत्तियां बिलकुल खत्म हो जाती हैं.
प्रबंधन
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मिट्टी जांच से मिले पोषक तत्त्वों की जानकारी
आमतौर पर पौधों में समुचित विकास के लिए उन्हें 16 पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, जिन में हाइड्रोजन, औक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगनीशियम, सल्फर आदि खास होते हैं.
कृषि वानिकी में लगाए सहजन
व्यावसायिक खेती के अलावा घर पर भी इस का पौधा लगाया जा सकता है. पौधा लगाने के पहले 3 साल तक इस की खास देखभाल की जरूरत पड़ती है. उस के बाद यह अपनेआप बढ़ता रहता है.
मिठास का खजाना मोंक फ्रूट की खेती
डाबिटीज से जूझ रहे लोग अगर मीठा खाने का शौक पूरा करना चाहते हैं, तो डा कुछ ऐसी चीजें हैं, जो चीनी की जगह इस्तेमाल की जा सकती हैं. ये डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को नुकसान भी नहीं पहुंचाती हैं. इस में स्टीविया की पत्तियां सब से कारगर मानी जाती हैं.
सब से दयनीय मजदूर भारत को किसान
चुनावी व्यस्तताओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस आया और चला भी गया. पूरे साल यह देश कोई न कोई राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाता रहता है. बाल दिवस, वृद्ध दिवस, महिला दिवस, किसान दिवस, पर्यावरण दिवस वगैरह. अब तो हालात ये हैं कि साल के दिन भी कम पड़ गए हैं. एक ही तारीख में कई अलगअलग राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस पड़ रहे हैं, किसे मनाएं और किसे छोड़ें? पर क्या सचमुच हमारे देश की सरकारें और हम स्वयं इन तमाम गंभीर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति गंभीर हैं?
कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण
2 मई, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा लघु एवं सीमांत किसान परिवारों में कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने व कृषि में श्रम साध्य साधनों के उपयोग पर एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, चित्तौड़गढ़ पर किया गया.
जई की नई किस्म से बढ़ेगा पशुओं का दूध
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने जई की नई उन्नत किस्म एचएफओ 906 विकसित की है. देश के उत्तरपश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इस किस्म से बहुत लाभ होगा.
कलमी या करमुआ साग की करें उन्नत खेती
पोषक गुणों से भरपूर प्रचलित सागसब्जियों के अलावा कुछ ऐसी भी सब्जियां हैं, जो आमतौर पर मिट्टी और पानी दोनों जगहों पर बहुत कम लागत और मेहनत में उगाई जा सकती हैं. हालांकि ऐसी सागसब्जियों का बहुत ज्यादा व्यावसायिक उत्पादन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में अगर किसान कम चलन वाली पोषक गुणों से भरपूर इन सब्जियों की खेती करे, तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
मुनाफा दिलाए कुंदरू की खेती
कुंदरू की सब्जी को सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है. कुंदरू में कई तरह के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. इसे अन्य सब्जियों की तुलना में विटामिन और मिनरल का काफी अच्छा स्त्रोत माना जाता है. कुंदरू की 100 ग्राम की मात्रा में विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन) 0/08 मिलीग्राम, 1.6 ग्राम फाइबर, 1.4 मिलीग्राम आयरन, 40 मिलीग्राम कैल्शियम और 0.07 मिलीग्राम विटामिन बी 1 (थियामिन) पाया जाता है.
आम की बेहतर कीमत दिलाए अच्छी पैकेजिंग
आम के फलों को अगर अच्छे बाजार मूल्य पर बेचना चाहते हैं, तो इस के लिए जरूरी है कि आम के फल देखने में दागधब्बे रहित हों और दिखने में सुंदर भी हों. साथ ही, उन का साइज भी औसत में एकजैसा होना जरूरी है. इस के लिए जितना जरूरी आम के बागों की समय से सिंचाई, गुड़ाई, जुताई और कीट व बीमारियों का प्रबंधन होता है, उतना ही जरूरी हो जाता है कि फलों की बढ़वार की नियमित निगरानी और उस का बैगिंग किया जाना.
मिट्टी में उपजाऊपन बढ़ाए हरी खाद
आज के समय में किसान या उपज लेने के लिए कैमिकल खादों का जम कर इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से मिट्टी की पैदावार कूवत पर उलटा असर पड़ता है, इसलिए मिट्टी के इन गुणों को सुधारने के लिए हरी खाद का इस्तेमाल समय की पुकार है. किसान अपने खेत में हरी खाद का इस्तेमाल कर के मिट्टी की पैदावार कूवत बढ़ाने के साथ-साथ ज्यादा उपज ले सकेंगे.