![ड्रम सीडर से करें धान की बोआई](https://cdn.magzter.com/1400326928/1686831479/articles/VKswbjn5c1687171524686/1687171792345.jpg)
ऐसे में अगर किसान को धान की फसल से लागत के अनुरूप उत्पादन व लाभ नहीं मिलता है, तो भुखमरी की हालत से भी रूबरू होना पड़ता है.
धान की फसल के लिए कई विधियों का प्रयोग किया जाता है. इस में नर्सरी से धान के खेत में सीधी रोपाई, एसआरआई विधि, खेत में छिटकवां विधि से धान की बोआई व ड्रम सीडर से धान की बोआई आदि इन सभी विधियों से धान की खेती करने के अलगअलग फायदे हैं, लेकिन अगर किसान ड्रम सीडर से अपने खेत में धान की बोआई करे, तो उस से कई तरह के फायदे हैं. किसान इस तरह की बोआई से अधिक लाभ कमा सकता है.
ड्रम सीडर धान की बोआई में प्रयोग किया जाने वाला प्लास्टिक से बना एक मानवचलित यंत्र है. इस के प्रयोग से धान की बोआई में श्रम शक्ति, पैसा व समय की बचत भी की जा सकती है.
मशीन की बनावट व मूल्य
ड्रम सीडर यंत्र में 4-6 प्लास्टिक के डब्बे लगे होते हैं. इन डब्बों में क्रमश: 28 व 14 छेद पास व दूर में बने होते हैं. इस यंत्र के डब्बों की लंबाई 25 सैंटीमीटर और व्यास 18 सैंटीमीटर होती है. एक डब्बे में डेढ़ से दो किलोग्राम मात्रा में बीज रखा जाता है. इस यंत्र में किनारे पर 2 चक्के लगे होते हैं, जो खेत में बोआई के संचालन में उपयोगी होते हैं. इस में 2 हैंडल दोनों छोरों से होते हुए आपस में आ कर मिले होते हैं. इसे कोई भी एक व्यक्ति पकड़ कर बोआई का काम कर सकता है.
इस मशीन का बाजार मूल्य 7,500 रुपए से 10,000 रुपए तक है, जो किसी भी स्थानीय कृषि यंत्र विक्रेता से आसानी से खरीदा जा सकता है. इस यंत्र के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत किसानों को अनुदान भी उपलब्ध है.
ड्रम सीडर से धान की बोआई करने के जून माह के पहले सप्ताह से जुलाई माह के पहले सप्ताह तक का समय सब से उपयुक्त होता है. इस के लिए सब से पहले जिस खेत में धान की बोआई ड्रम सीडर से करनी हो, उस को खरपतवार नियंत्रण के लिए एक बार हैरो या रोटावेटर से जुताई कर मिट्टी भुरभुरी कर लेनी चाहिए. इस के बाद जिस दिन ड्रम सीडर से धान की बोआई करनी हो, उस खेत में पलेवा कर के उस का पानी बाहर निकाल देना उचित होता है.
बीज की तैयारी
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![मिट्टी जांच से मिले पोषक तत्त्वों की जानकारी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1705521/UKgRmoPbN1716294683557/1716294816187.jpg)
मिट्टी जांच से मिले पोषक तत्त्वों की जानकारी
आमतौर पर पौधों में समुचित विकास के लिए उन्हें 16 पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, जिन में हाइड्रोजन, औक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगनीशियम, सल्फर आदि खास होते हैं.
![कृषि वानिकी में लगाए सहजन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1705521/45pIyFVE61716294522458/1716294681560.jpg)
कृषि वानिकी में लगाए सहजन
व्यावसायिक खेती के अलावा घर पर भी इस का पौधा लगाया जा सकता है. पौधा लगाने के पहले 3 साल तक इस की खास देखभाल की जरूरत पड़ती है. उस के बाद यह अपनेआप बढ़ता रहता है.
![मिठास का खजाना मोंक फ्रूट की खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1705521/vdLqxipn11716294148244/1716294521897.jpg)
मिठास का खजाना मोंक फ्रूट की खेती
डाबिटीज से जूझ रहे लोग अगर मीठा खाने का शौक पूरा करना चाहते हैं, तो डा कुछ ऐसी चीजें हैं, जो चीनी की जगह इस्तेमाल की जा सकती हैं. ये डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को नुकसान भी नहीं पहुंचाती हैं. इस में स्टीविया की पत्तियां सब से कारगर मानी जाती हैं.
![सब से दयनीय मजदूर भारत को किसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1705521/CW7GgOXPH1716292166510/1716294145458.jpg)
सब से दयनीय मजदूर भारत को किसान
चुनावी व्यस्तताओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस आया और चला भी गया. पूरे साल यह देश कोई न कोई राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाता रहता है. बाल दिवस, वृद्ध दिवस, महिला दिवस, किसान दिवस, पर्यावरण दिवस वगैरह. अब तो हालात ये हैं कि साल के दिन भी कम पड़ गए हैं. एक ही तारीख में कई अलगअलग राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस पड़ रहे हैं, किसे मनाएं और किसे छोड़ें? पर क्या सचमुच हमारे देश की सरकारें और हम स्वयं इन तमाम गंभीर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति गंभीर हैं?
![कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1705521/rVb_cN-t91716292083304/1716292150659.jpg)
कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण
2 मई, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा लघु एवं सीमांत किसान परिवारों में कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने व कृषि में श्रम साध्य साधनों के उपयोग पर एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, चित्तौड़गढ़ पर किया गया.
![जई की नई किस्म से बढ़ेगा पशुओं का दूध](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1705521/-O4QoIAtv1716291997739/1716292083321.jpg)
जई की नई किस्म से बढ़ेगा पशुओं का दूध
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने जई की नई उन्नत किस्म एचएफओ 906 विकसित की है. देश के उत्तरपश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इस किस्म से बहुत लाभ होगा.
![कलमी या करमुआ साग की करें उन्नत खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1705521/6f90Y6CHZ1716291842000/1716291994184.jpg)
कलमी या करमुआ साग की करें उन्नत खेती
पोषक गुणों से भरपूर प्रचलित सागसब्जियों के अलावा कुछ ऐसी भी सब्जियां हैं, जो आमतौर पर मिट्टी और पानी दोनों जगहों पर बहुत कम लागत और मेहनत में उगाई जा सकती हैं. हालांकि ऐसी सागसब्जियों का बहुत ज्यादा व्यावसायिक उत्पादन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में अगर किसान कम चलन वाली पोषक गुणों से भरपूर इन सब्जियों की खेती करे, तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
![मुनाफा दिलाए कुंदरू की खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1705521/1kljYVnuj1716291572714/1716291840706.jpg)
मुनाफा दिलाए कुंदरू की खेती
कुंदरू की सब्जी को सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है. कुंदरू में कई तरह के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. इसे अन्य सब्जियों की तुलना में विटामिन और मिनरल का काफी अच्छा स्त्रोत माना जाता है. कुंदरू की 100 ग्राम की मात्रा में विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन) 0/08 मिलीग्राम, 1.6 ग्राम फाइबर, 1.4 मिलीग्राम आयरन, 40 मिलीग्राम कैल्शियम और 0.07 मिलीग्राम विटामिन बी 1 (थियामिन) पाया जाता है.
![आम की बेहतर कीमत दिलाए अच्छी पैकेजिंग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1705521/jkbm9udHW1716291430671/1716291571222.jpg)
आम की बेहतर कीमत दिलाए अच्छी पैकेजिंग
आम के फलों को अगर अच्छे बाजार मूल्य पर बेचना चाहते हैं, तो इस के लिए जरूरी है कि आम के फल देखने में दागधब्बे रहित हों और दिखने में सुंदर भी हों. साथ ही, उन का साइज भी औसत में एकजैसा होना जरूरी है. इस के लिए जितना जरूरी आम के बागों की समय से सिंचाई, गुड़ाई, जुताई और कीट व बीमारियों का प्रबंधन होता है, उतना ही जरूरी हो जाता है कि फलों की बढ़वार की नियमित निगरानी और उस का बैगिंग किया जाना.
![मिट्टी में उपजाऊपन बढ़ाए हरी खाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1705521/7hquKiE-B1716291081051/1716291424273.jpg)
मिट्टी में उपजाऊपन बढ़ाए हरी खाद
आज के समय में किसान या उपज लेने के लिए कैमिकल खादों का जम कर इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से मिट्टी की पैदावार कूवत पर उलटा असर पड़ता है, इसलिए मिट्टी के इन गुणों को सुधारने के लिए हरी खाद का इस्तेमाल समय की पुकार है. किसान अपने खेत में हरी खाद का इस्तेमाल कर के मिट्टी की पैदावार कूवत बढ़ाने के साथ-साथ ज्यादा उपज ले सकेंगे.